यह कहना है राजस्थान के झुंझुनूं जिले के खेतड़ी उपखंड के शिमला गांव निवासी सेना से रिटायर्ड कप्तान नंदराम यादव का। शौर्य पदक प्राप्त 85 वर्षीय कैप्टन नंदराम यादव ने बताया कि वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्होंने 5 ग्रेनेडियर बटालियन में रहते हुए पूर्वी पाकिस्तान के भूरंगा मारी पोस्ट पर एक नवम्बर 1971 को जीत हासिल की। दुश्मनों के सीने छलनी करते हुए आगे बढ़े। गोली से वे भी घायल हो गए, लेकिन पीठ नहीं दिखाई। दुश्मन की छाती पर पैर रखते हुए पोस्ट पर तिरंगा फहराकर ही दम लिया। इस पर उन्हें शौर्य पदक मेन्सन इन डिस्पेचेज प्राप्त हुआ। इस का उल्लेख झुंझुनंू स्थित पीरुसिंह सर्किल पर भी अंकित है।
यह है मुख्य मांग कप्तान नंदराम यादव ने बताया कि शौर्य पदक मिलने के साथ उन्हें सरकार ने श्रीगंगानगर जिले के विजय नगर क्षेत्र में 12.50 हैक्टेयर भूमि आवंटित की थी। साथ यह भी विकल्प था कि यदि जवान चाहे तो यह भूमि खुद के गांव में ले सकते हैं। कप्तान का कहना है कि उसने विजयनगर में जमीन नहीं ली। शिमला गांव में जमीन लेने के लिए विकल्प पत्र भी भर दिया था। परन्तु आज तक उसे जमीन नहीं मिली है। जब तक जमीन नहीं मिलेगी वह प्रतिमा का अनावरण नहीं करवाएगा।
1998 में 48 हजार में बनवाई मूर्ति शिमला गांव के बस स्टैंड पर कप्तान ने यह मूर्ति वर्ष 1998 में पिलानी के मातूराम वर्मा से बनवाई। मूर्ति पर करीब 48 हजार रुपए खर्च हुए। सरकारी आदेश पर ग्राम पंचायत ने स्मारक के लिए निशुल्क जमीन भी दी। कप्तान ने तीन लाख रुपए लगाकर स्मारक के पास विश्रामगृह भी बनवाया।
इनका कहना है
कप्तान नंदराम यादव ने अपनी वीरता का परिचय देते हुए युद्ध में दुश्मनों के छक्के छुड़ाए। परन्तु आज तक उन्हें सरकार द्वारा घोषित जमीन का आवंटन नहीं हुआ है। इसके लिए मैंने केन्द्रीय रक्षा मंत्री व क्षेत्रीय सांसद नरेन्द्र खींचड़ को पत्र लिखा है।
-सत्यवीर गुर्जर,उपजिला प्रमुख झुंझुनूं
इनका कहना है
हमारे पास इस प्रकार का कोई प्रकरण लम्बित नहीं है। संबंधित सैनिक अथवा उनके परिजन हमें इस संबंध में पूर्ण जानकारी देंगे तो जिला सैनिक कल्याण बोर्ड उनकी पूर्ण सहायता करेगा।
-कर्नल सुनील दत्त,जिला सैनिक कल्याण अधिकारी, चिड़ावा