बच्चों में पोषण स्तर को बढ़ाने के लिए यह निर्णय किया गया है। इसके तहत राजकीय विद्यालयों, मदरसों एवं विशेष प्रशिक्षण केंद्रों में पढऩे वाले विद्यार्थियों को इनमें तैयार की जाने वाली पोषण वाली सब्जियां दी जाएंगी।
-ताजी सब्जियों के उपयोग से पोषण तत्वों की कमी पूरी होगी
-विद्यार्थियों को प्रकृति और बागवानी का अनुभव मिलेगा
-इसकी स्थापना से वातावरण को सहायता मिलेगी
-विद्यालय में इनकी स्थापना से भूमि की उर्वरकता बढ़ेी
-विद्यार्थियों में परस्पर सहयोग की भावना विकसित होगी
-बाजार की तुलना में सस्ती व उत्तम गुणवत्ता वाली सबिजयां मिल सकेंगी
-विद्यालय में उगी सब्जियों में जहरीली दवाइयों एवं कीटनाशकों का प्रभाव नहीं होता है, जबकि बाजार में उगी सब्जियों में जहरीली दवा एवं कीटनाशकों का प्रभाव हो सकता है।
विद्यालयों में गार्डन विकसित करने के लिए अध्ययनरत विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों का सहयोग लिया जा सकेगा। इनमें नियमित पानी देना, सार-संभाल, खाद देना जैसी जिम्मेदारी विद्यार्थियों को दी जाएगी। इसके अलावा स्वयं सेवी संस्था, इको क्लब, स्काउट, एनसीसी कैड्ेटस छात्र-छात्राओं, विद्यालय विकास समिति के सदस्यों के अलावा ग्रामीणों का सहयोग लिया जा सकता है।
नयूट्रीशन गार्डन विकसित करने के लिए अधिकतम पांच हजार रुपए प्रति विद्यालय बीज, खाद एवं आवश्यक उपकरण खरीदे जा सकते हैं। जिन विद्यालयों के पास भूमि की कमी है वहां पर गमलों अथवा छतों पर इसे विकसित किया जाएगा। इनमें केवल जैविक खाद ही डालनी होगी।
छात्रों के योगदान एवं अन्य गतिविधियों की नियमित रूप से तस्वीरें ली जा कर विभागीय इ-मेल पर भेजनी होंगी। साथ ही गार्डन से प्राप्त सब्जियों एवं फलों का मिड-डे-मील में उपयोग लिया जाए एवं इसका रिकॉर्ड संधारित करना होगा।
मिड-डे-मील योजनांर्गत विद्यालयों में राज्य सरकार ने न्यूट्रीशन गार्डन विकसित करने के आदेश जारी किए गए हैं। जिसके तहत पोषाहार के रूप में मिलने वाले भोजन में बच्चों को ताजी सब्जियां मिल सके ताकि उनमें पोषक तत्वों की कमी दूर हो सके।
पितरामसिंह काला, जिला शिक्षा अधिकारी (प्रा.), झुंझुनूं