शिकायत पर विभाग ने जांच की। जिसमें सामने आया है कि पेंशन ले रहे अपात्र लोगों ने अलग-अलग तरीके से फर्जीवाड़ा किया। अधिकतर अपात्र पेंशनधारक 2013 से पेंशन ले रहे हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार पेंशन के लिए अपात्र लोगों ने कम उम्र को ज्यादा दर्ज करवा लिया। जिसके लिए मतदाता पहचान पत्र में ज्यादा उम्र दर्ज करवा दी। जिसके बाद उसी से आधार कार्ड, भामाशाह, पेन कार्ड व अन्य दस्तावेज भी जारी करवा लिए। जिसके आधार पर पेंशन लेते रहे।
जांच में चौंकाने वाली हकीकत सामने आई। सूत्रों के अनुसार बहुत से पेंशनधारक तो ऐसे हैं, जिनकी उम्र ही 50 साल से कम है। मगर फिर भी पांच-छह साल से पेंशन उठा रहे थे। विभाग ने आयु के लिए जन्म से जुड़े दस्तावेज मांगे तो अधिकतर ने अशिक्षित होने की बात कही। वहीं ऑनलाइन दस्तावेजों में उक्त लोगों ने शैक्षिक योग्यता 10 वीं, 12 वीं तक दर्ज करवा रखी है।
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2013 में पेंशन योजना शुरू की। शुरू में पेंशनधारक को पांच सौ रुपए प्रतिमाह दी जाती थी। पेंशन के लिए गांव-ढाणियों में शिविर लगाए थे। अधिकारियों ने निजी स्वार्थ की पूर्ति होते ही पेंशन शुरू कर दी। दस्तावेजों में उम्र ज्यादा दिखाकर पेंशन शुरू करवा दी। विभाग भी दस्तावेजों को आधार मानकर पेंशन देता रहा। फर्जीवाड़े की शिकायत मिली तो हकीकत सामने आई।
किठाना में प्रत्येक पेंशनधारक की जांच की। जिसमें 96 लोग पेंशन के लिए अपात्र मिले। जिनको नोटिस जारी कर पेंशन की राशि वापस जमा करवाने के निर्देश दिए है-दारासिंह, विकास अधिकारी, चिड़ावा