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PM Modi के राजस्थान आते ही फौजियों के गांव ने उठा लिया ये कदम, प्रधानमंत्री की इस बात से हैं आहत

locationझुंझुनूPublished: Nov 25, 2018 05:27:54 pm

Submitted by:

Nidhi Mishra

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people of Jhunjhunu village boycott Rajasthan Election 2018

people of Jhunjhunu village boycott Rajasthan Election 2018

खेतड़ी/ झुन्झुनू। PM Narendra Modi ने डिजिटल इंडिया के बड़े बड़े सपने दिखाए थे, लेकिन डिजिटल इंडिया के बड़े-बड़े दावे शेखावाटी के झुंझुनू जिले में स्थित खेतङी उपखंड के एक छोटे से गांव में फेल होते नजर आते हैं। जिससे आहत होकर ग्रामीणों ने मतदान (Rajasthan Assembly Election 2018) का बहिष्कार कर दिया है। ये है खेतङी उपखंड का एक फौजियों का गांव, जहां 100 घरों की बस्ती में सेवानिवृत्त व सेवारत 200 के करीब फौजी हैं। इस गांव के जवानों ने विश्व युद्ध से लेकर भारत चीन व पाकिस्तान के साथ लड़ाई में भाग लिया है, लेकिन यह गांव 468 साल से आज तक मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।

खेतङी मुख्यालय से 9 किलोमीटर दूर तथा खेतड़ी-जयपुर स्टेट हाईवे नंबर 13 की सड़क से मात्र ढाई किलो मीटर दूर अरावली की पहाड़ियों की तलहटी में बसे राजपूत जाति के गांव उसरिया की ढाणी आज भी राजनीतिक उपेक्षा का शिकार हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव को करीब 468 साल पूर्व खंडेला से आए उसर सिंह राजपूत ने बसाया था। धीरे-धीरे समय बीतता गया, गांव की आबादी भी बढ़ने लगी और आज गांव की आबादी करीब सौ घरों की तथा जनसंख्या 700 हो गई है।

ढाणी उसरियां के सुरजभान सिंह ने दितीय विश्व युद्व में भाग लिया था। इसके अलावा समुद्र सिंह व महिपाल सिंह ने 1965 व 1971 की भारत-पाकिस्तान की लड़ाई भाग लेकर गांव का नाम रोशन किया था। गांव में आज भी 200 के करीब सेवारत व सेवानिवृत्त सैनिक है। इस गांव को आज भी सुविधाओं के नाम पर दर्द झेलना पड़ रहा है। यहां पर किसी भी कंपनी का कोई भी मोबाइल टावर व गांव में जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है। इस गांव में लोगों को जब अपने रिश्तेदारों से बात करनी हो तो या तो पहाड़ी पर चढ़ कर बात करनी पड़ती है या फिर 9 किलोमीटर दूर खेतङी जाकर ही बात की जा सकती है।

सरहद पर तैनात अपने लाडलों के लिए परिजन सिर्फ दुआएं ही कर सकते हैं, लेकिन सलामती पूछने के लिए बात नहीं कर सकते। जब भी सीमा पर या फिर आतंकियों के साथ मुठभेड़ होने का समाचार सुनाई देता है, तो यह गांव चिंता में डूब जाता है, क्योंकि फोन पर भी बात नहीं हो सकती।

दूसरा दर्द इस गांव में जाने के लिए पहाड़ी रास्तों से होते हुए सिर्फ कच्चा रास्ता ही है। अगर कोई रात को गांव जाने के लिए रिश्तेदार या कोई परिचित आए तो गांव में जाना मुश्किल हो रहा है।

आठवीं के बाद बालिकाओं को नहीं दिलाई जाती उच्च शिक्षा
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में एकमात्र उच्च प्राथमिक तक स्कूल है तथा इसके बाद बालिकाओं को उच्च शिक्षा नहीं दिलवाई जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में उच्च शिक्षा के लिए स्कूल नहीं होने के कारण नौ किलोमीटर दूर खेतड़ी जाना पड़ता है, लेकिन कच्चा व सुनसान रास्ता होने के कारण परिजन अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए गांव से बाहर नहीं भेज पाते तथा उनकी पढ़ाई अधर में ही छुड़वा दी जाती है। ऐसे में बालिकाओं को पूरी शिक्षा भी नही मिल पाती है।

चिकित्सा व पेयजल की भी नहीं है सुविधा
गांव में आज तक चिकित्सा व पेयजल की भी सुविधा नही होने से ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गांव में चिकित्सा सुविधा के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है, इसके अलावा पेयजल के लिए दो बोरवेल करवाए गए थे, जिनमें एक की स्थिति पिछले कई दिनों से खराब होने के कारण एक टयूबवेल से ही काम चलाया जा रहा है। ढाणी उसरियां को खेतड़ी तहसील में आई कुंभाराम नहर परियोजना से भी नहीं जोड़ा गया है।

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