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अचार हो तो लोहार्गल जैसा

locationझुंझुनूPublished: Jun 04, 2021 10:36:33 pm

Submitted by:

Rajesh

लोहार्गल के कैरी की पहचान उसके भीतर निकलने वाली झिल्ली (जाली) से होती है। स्वादिष्ट अचार बनाने के लिए कई प्रकार के मसाले डाले जाते हैं। अचार में मैथी, जीरा, हल्दी, मिर्ची, नमक, सौंफ, कळोंजी आदि मसाले डाले जाते हैं। इस अचार में सिरका का इस्तमाल नहीं किया जाता है।

अचार हो तो लोहार्गल जैसा

अचार हो तो लोहार्गल जैसा

# Pickles of Lohargal and Chirana
उदयपुरवाटी/झुंझुनूं. यूं तो राजस्थान में अनेक जगह के अचार प्रसिद्ध है, लेकिन झुंझुनूं जिले के लोहार्गल व चिराना के अचार की बात ही कुछ और है। यहां का अचार एक बार जिसने चख लिया फिर वह व्यक्ति यहीं से अचार मंगवाता है।
अरावली की पहाडिय़ों के बीच स्थित शेखावाटी के प्रसिद्ध तीर्थस्थल लोहार्गल धाम यहां के अचार के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां हर साल एक करोड़ रुपए से अधिक का अचार का व्यापार होता है। हालांकि पिछले दो साल में कोरोना के चलते लगे लॉक डाउन में व्यापार ठप हो गया है। जिससे दुकानदारों के साथ साथ बागवानों को भी काफी नुकसान हुआ है।
तीर्थस्थल लोहार्गल में 90 प्रतिशत दुकानें अचार की हैं। लोहार्गल आने वाले श्रद्धालु इन दुकानों से अचार की खरीदारी करके ले जाते हैं। दुकानदारों का अचार व्यापार भी लोहार्गल आने वाले श्रद्धालुओं पर निर्भर है। लेकिन पिछले दो साल से कोरोना के चलते लोहार्गल में लगे लॉकडाउन की वजह लोग नहीं आ रहे हैं। जिससे न तो अचार बिका है और ना ही कैरी। मंडियों में कैरी केे अच्छे भाव नहीं मिलने से लगातार दूसरे साल भी लोगों को काफी नुकसान हो रहा है।
# Pickles of Lohargal and Chirana

खट्टे मीठे स्वाद के लिए प्रसिद्ध

लोहार्गल की कैरी का अचार अपने खट्टे मीठे स्वाद के लिए दूर-दूर तक प्रसिद्ध है।दूर दराज से लोहार्गल आने वाले लोग यहां का अचार ले जाना नहीं भूलते है। यहां की कैरी का एक सीजन स्थानीय लोगों को सालभर का रोजगार दे जाता है। लोहार्गल में आम के करीब 70 बगीचे हैं, जिनमें छह हजार के करीब पेड़ है। मई माह के अंतिम सप्ताह से बगीचों में आम के पेड़ों पर लगी कैरी को पकने से पूर्व अचार डालने के लिए तोडऩा शुरू कर लिया जाता है। लोहार्गल की कैरी का न केवल अचार बल्कि सब्जी भी स्वादिष्ट बनती है। लोहार्गल के कैरी की पहचान उसके भीतर निकलने वाली झिल्ली (जाली) से होती है। स्वादिष्ट अचार बनाने के लिए कई प्रकार के मसाले डाले जाते हैं। अचार में मैथी, जीरा, हल्दी, मिर्ची, नमक, सौंफ, कळोंजी आदि मसाले डाले जाते हैं। इस अचार में सिरका का इस्तमाल नहीं किया जाता है।
# the taste of shekhawati
दिल्ली, मुम्बई और कोलकाता में भी मांग

पिछले पन्द्रह साल से अचार डालने का काम रहे लोहार्गल के गोपाल गुर्जर बताते हैं कि अचार बनाने के एक से डेढ माह के बीच खाने लायक हो जाता है। लोहार्गल की कैरी का अचार दो साल खराब नहीं होता है। स्थानीय लोगों के अलावा अधिकारी, कर्मचारी एवं विदेश में रहने वाले लोग भी लोहार्गल की कैरी का अचार मंगवाते हैं। लोहार्गल और चिराना गांव अचार के बड़े केन्द्र हैं। यहां प्रतिवर्ष लोहार्गल की कैरी सहित दूसरी क्षेत्र से आने वाली कैरी का हजारों क्विंटल अचार डाला जाता है। अचार की मांग के अनुरूप इसकी आपूर्ति शेखावाटी क्षेत्र सहित जयपुर, हनुमानगढ़ बीकानेर, सीकर, गुरुग्राम, कोलकाता, दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद व सूरत तक होती है।

एक दर्जन परिवार जुड़े व्यापार से

लोहार्गल में एक दर्जन परिवार अचार के व्यापार से जुड़़े हुए हंै। जो कि खुद के बाग और दूसरे बागवानों से कैरी खरीदकर अचार डालते हंै। अचार डालने का काम परिवार के सभी सदस्य मिलकर करते हैं। अचार डालने में साफ सफाई और अच्छे मसाले डाले जाते हैं। जिससे अचार घर जैसा और स्वादिष्ट हो।
कैरी के अलावा यह अचार भी

लोहार्गल में कैरी के अलावा आंवला, कैर, लहसुआ, मिर्ची, नींबू, लहसुन, गाजर आदि का भी अचार मिलता है।

कंटेंट-अनिल सैनी

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