हमारे संस्थान की वैज्ञानिक डा. जोला ने इस प्रकार की खोज की है। खोजे गए जीवाणुओं को लैबोरेट्री की सहायता से खेती में काम में लिया जाता है। जिस में करीब पांच हजार रुपए की लागत से छह दर्जन किसानों को फायदा हो सकता है।
प्रो. एसके वर्मा, प्रो. जीव विज्ञान विभाग, बिट्स, पिलानी।
डा.बलबीर सिंह, समन्वयक, कृषि विज्ञान केन्द्र,चांदगोठी