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पिलानी की वैज्ञानिक ने खोजा जैव कीटनाशक

locationझुंझुनूPublished: Aug 01, 2019 12:03:34 pm

Submitted by:

gunjan shekhawat

jhunjhunu news: पिलानी. किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री के सपने को हकीकत में बदलने के लिए देश के वैज्ञानिकों ने जमीन से जैव कीटनाशक जीवाणुओं की पहचान की है। पहचान किए गए जीवाणु खेत में खड़ी फसल को हानि पहुंचाने वाले हानिकारक जीवाणुओं और कीटों को नष्ट कर जमीन को उपजाऊ बनाते हैं।यह कर दिखाया है बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड साइंस (बिट्स) की युवा वैज्ञानिक डा. जोला दुबे ने । डा. दुबे बताती हैं कि फसल को रोगों से बचाने के लिए किसान खेती में बड़ी मात्रा में रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं।

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उत्पल शर्मां
पिलानी. किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री के सपने को हकीकत में बदलने के लिए देश के वैज्ञानिकों ने जमीन से जैव कीटनाशक जीवाणुओं की पहचान की है। पहचान किए गए जीवाणु खेत में खड़ी फसल को हानि पहुंचाने वाले हानिकारक जीवाणुओं और कीटों को नष्ट कर जमीन को उपजाऊ बनाते हैं।
यह कर दिखाया है बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एण्ड साइंस (बिट्स) की युवा वैज्ञानिक डा. जोला दुबे ने । डा. दुबे बताती हैं कि फसल को रोगों से बचाने के लिए किसान खेती में बड़ी मात्रा में रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। बदले समय में बिना रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग के अच्छी फसल लेना संभव नहीं है। एक अनुमान के अनुसार खेती में कीटनाशकों को प्रयोग किए बिना फसल का करीब 60 प्रतिशत भाग नष्ट हो जाता है। ऐसी स्थिती में देश में अच्छी पैदावार लेने के लिए खेतों में कीटनाशकों का प्रयोग अंधाधुंध किया जा रहा है। कीटनाशकों के प्रयोग से देश में कैंसर रोगियों की संख्या में प्रतिवर्ष बढ़ोतरी हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि खेती में कीटनाशकों के प्रयोग के चलते प्रतिवर्ष 25 लाख लोग घातक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। करीब बीस हजार लोग मृत्यु का ग्रास बन रहे हैं। दुबे पिछले कुछ दिनों से भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी के आर्थिक सहयोग से एक प्रोजेक्ट पर शोध कर रही है। बतौर डा. दुबे जमीन में सूक्ष्म जीवाणु मौजूद हैं जिनमें से कुछ जमीन को उपजाऊ बना कर फसल के लिए औषधी का कार्य करते हैं तो कुछ फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने मिट्टी में जैव रोगनाशी तथा फफूंदनाशी जीवाणु खोजे हैं। एक हैक्टेयर में 20 किलोएक हैक्टेयर में 20 किलोडा.दुबे बताती हैं कि एक हैक्टेयर क्षेत्र में करीब बीस किलो जीवाणू काम में लिए जाते हैं। इसके लिए वे बिट्स की प्रयोगशाला में खुद जीवाणू तैयार कर रही हैं। किसानों को निशुल्क वितरित कर रही हैं।खेत में बुवाई करते समय सूक्ष्म जै नाशी जीवाणुओं का छोड़ दिया जाता है। जब खेत पर फसल की बुवाई करतें है तो जमीन में पहले से मौजूद सूक्ष्म जैव नाशी जीवाणु जमीन में कीटों से फसल को नुकसान नहीं होने देते हैं। खोजे गए सूक्ष्म जैव नाशी जीवाणुओं को लेकर सीकर, चूरू तथा झुंझुनूं क्षेत्र में फसलों पर प्रयोग किए गए हैं। अपने प्रारंभिक प्रयोगों में जैवनाशी जीवाणओं के सुखद परिणाम मिले हैं। डा. दुबे बताती हैं कि जैव कीटनाशक जीवाणुओं को देश भर के किसानों तक पहुंचाने की दिशा में कार्य चल रहा है। बिटसा पीआरसी के निदेशक डा. वीके दुबे बताते हैं खेती में जीवाणुओं का प्रयोग करने वाले किसान डा. जोला से सम्पर्क कर सकते हैं।
इनका कहना है…
हमारे संस्थान की वैज्ञानिक डा. जोला ने इस प्रकार की खोज की है। खोजे गए जीवाणुओं को लैबोरेट्री की सहायता से खेती में काम में लिया जाता है। जिस में करीब पांच हजार रुपए की लागत से छह दर्जन किसानों को फायदा हो सकता है।
प्रो. एसके वर्मा, प्रो. जीव विज्ञान विभाग, बिट्स, पिलानी।
डा. जोला द्वारा खोजे गए जीवाणुओं का क्षेत्र में कई गांवों में प्रयोग किया गया है। प्रयोग बेहद सफल रहा है। इससे देश के किसानों को लाभ होगा।
डा.बलबीर सिंह, समन्वयक, कृषि विज्ञान केन्द्र,चांदगोठी
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