scriptISHA AMBANI : हल्के में मत लेना पीरामल परिवार को, 50 रुपए से खड़ा कर दिया 67 हजार करोड़ का बिजनेस एम्पायर | Piramal family History And business Journey in hindi | Patrika News

ISHA AMBANI : हल्के में मत लेना पीरामल परिवार को, 50 रुपए से खड़ा कर दिया 67 हजार करोड़ का बिजनेस एम्पायर

locationझुंझुनूPublished: May 07, 2018 09:54:57 pm

Submitted by:

vishwanath saini

ईशा अंबानी देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी की बेटी है, वहीं पीरामल परिवार 67 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा का बिजनेस एम्पायर है ।

anand piramal

जितेन्द्र योगी/अनिल जांगिड़ झुंझुनूं/बगड़. प्रसिद्ध उद्योगपति रिलांयस ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अंबानी की बेटी ईशा और जाने-माने व्यवसायी अजय पीरामल एवं डॉ स्वाति पीरामल के बेटे आनंद की सगाई तय होने के साथ ही हर किसी की जुबां पर अंबानी और पीरामल परिवार के चर्चे हैं। ईशा अंबानी व आनंद पीरामल की शादी दिसम्बर 2018 तक हो सकती है।

ईशा अंबानी देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी की बेटी है, वहीं पीरामल परिवार को भी कम मत आंकना। 67 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा का बिजनेस एम्पायर है पीरामल परिवार। राजस्थान के झुंझुनूं जिला मुख्यालय से महज 15 किमी दूरी पर स्थित बगड़ कस्बे के पीरामल परिवार की सफलता की कहानी भी रोचक और प्रेरणादायी है। पीरामल परिवार के बिजनेस का सफर 98 साल पहले महज 50 रुपए से शुरू हुआ था।

 

 

पीरामल परिवार का इतिहास

 

-बगड़ के चतुर्भुज मखारिया के तीन बेटे थे। इनमें सबसे बड़ा बेटा पीरामल था, जो अजय पीरामल के परदादा थे। पीरामल बगड़ से मात्र 50 रुपए लेकर मुंबई पहुंचे थे।

-मुम्बई तब बॉम्बे हुआ करता था। सेठ पीरामल ने बॉम्बे में कॉटन, सिल्क, सिल्वर आदि का बिजनेश शुरू किया।

-कड़ी मेहनत और अथक प्रयासों से उन्होंने उस समय की देश की सबसे बड़ी कपड़े की मील मोरारजी गोकुलदास को खरीद लिया।

-सेठ पीरामल का ये सफलता का पहला कदम था और इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

-1920 से लेकर वर्ष 2005 तक सेठ पीरामल, पोते गोपीकृष्ण, पड़पोते अजय पीरामल ने पीरामल परिवार का बिजनेस संभाला।

-इस दौरान सेठ पीरामल के सम्मान में पीरामल परिवार ने अपना सरनेम मखारिया की बजाय पीरामल ही रख लिया।

-परिवार के हजारों करोड़ रुपए के बिजनेस में ईशा अंबानी के होने वाले पति आनंद पीरामल की इंट्री वर्ष 2005 में हुई।

-वर्ष 2005 में अजय पीरामल के बेटे आनंद पीरामल ने पीरामल लाइफ साइंस लिमिटेड में डायरेक्टर के पद पर ज्वाइन किया।

 

 

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हमेशा कस्बे की पीड़ा को समझा

 

पीरामल अपनी जन्मभूमि को कभी नहीं भूले और हमेशा से बगड़ कस्बे के लिए भी कुछ ना कुछ करते रहने की सोची। उस वक्त बगड़ कस्बे में पेयजल की बड़ी समस्या थी। पीरामल ने हर मौहल्ले में पाइप लाइन बिछवाकर निशुल्क पानी की व्यवस्था करवाई। इसके बाद उनको चिंता सताई कि कस्बेवासियों के लिए अच्छे स्वास्थ्य की व्यवस्था होनी चाहिए तो उन्होंने यहां पर अपने निवास के सामने पीरामल राजकीय अस्पताल खुलवाया।

आजादी से पहले खुलवाया स्कूल

पेयजल समस्या के समाधान और चिकित्सा व्यवस्था को सुधारने के बाद पीरामल परिवार ने कस्बे की सबसे बड़ी जरूरत शिक्षा के क्षेत्र में कार्य किया। पिछड़े वर्ग को शिक्षा का अधिकार दिलवाने के लिए आजादी से पहले ही स्कूल खुलवाया। फिर महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए गल्र्स स्कूल भी स्थापना की। उन्होंने सार्वजनिक पुरस्कालय का निर्माण भी करवाया।

 

पोते अजय ने ली दादा से प्रेरणा

 

सेठ पीरामल से उनके पौत्र अजय पीरामल ने प्रेरणा लेते हुए सेठ पीरामल की तरह ही कस्बे में सेवाभावी कार्यों में काफी रूचि दिखाई। भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति के रुप में पहचान रखने वाले अजय पीरामल ने कस्बे में कई योजनाओं की शुरूआत की। जिनका लाभ वर्तमान में कस्बेवासी एवं देशवासी उठा रहे है।

पीरामल फाउण्डेशन के द्वारा पीरामल उद्गम की स्थापना की। इसके जरिये ग्रामीण क्षेत्र की कम शिक्षित महिलाओं को रोजगार मिला और कम शिक्षित होने के बावजूद भी उन्हें कम्प्युटर सेंटर पर कार्य करके अपने हूनर को निखारने का मौका मिला। सर्वजल योजना की शुरुआत की गई। इसके पीछे कारण ये था कि कस्बे में पीने के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक थी।

लोगों के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए लोगों को कम लागत में फील्टर पानी मिल सके। ये योजना पहले कस्बे से शुरु होकर वर्तमान में पूरे देश में लागू हो चुकी है और बेहद ही कम रुपयों में लोग फील्टर पानी का उपयोग कर रहे हैं। पीरामल सर्वजल को पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।


कई योजनाओं को देशभर में लांच किया

 

पीरामल परिवार की ओर से शुरू की गईयोजनाएं देशभर में लांच हुई। इनके द्वारा की गईई-स्वास्थ्य योजना के तहत लक्ष्य ये था कि ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके। इसके लिए मोबाइल वैन का शुभारंभ किया गया। राजस्थान सरकार से मिलकर सचिवालय में 104 सेवा की शुरुआत हुई। अब इस सेवा के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही है।

पीरामल स्कूल ऑफ लीडरशीप की शुरुआत

पीरामल स्कूल ऑफ लीडरशीप की शुरुआत करने के पीछे जो मकसद था वो ये था कि शिक्षा का स्तर सुधरे। इसी के तहत देश के प्रत्येक राज्य के सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य एवं शिक्षक उनके यहां आकर शिक्षा गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण ले सके। वर्तमान में देश के प्रत्येक राज्य के सरकारी स्कूल के यहां से प्रधानाचार्य एवं शिक्षक उनके यहां आकर प्रशिक्षण प्राप्त कर शिक्षा को बेहतर बनाने का प्रयास भी कर रहे है। पीरामल फाउण्डेशन ने राजस्थान के सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या में बढ़ाने के लिए सरकार के साथ मिलकर काफी कार्य किए हैं।

 

मिल चुके हैं कई पुरस्कार

 

पीरामल के पौध उद्योगपति अजय पीरामल की पत्नी डॉ स्वाति पीरामल ने भी समाजिक क्षेत्र में काफी कार्य किया है। उन्होंने देश में स्वास्थ्य के लिए कई अनुसंधान किए हैं। जिनके लिए भारत सरकार ने डॉ स्वाति को पद्मश्री के पुरस्कार से भी सम्मानित किया है। अजय एवं डॉ स्वाति का बेटा आनंद पीरामल एवं बेटी नंदनी पीरामल दोनों ने हार्वड युनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।

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