जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ दिनों में प्रदेशभर के जिलों से निजी स्कूलों में कार्यरत टीचिंग व नॉन टीचिंग स्टॉफ के खिलाफ विद्यार्थियों के साथ दुष्कर्म, छेड़छाड़ करने जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं। लेकिन निजी संस्था की ओर से कोई कर्मचारियों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखें जाने से उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाती थी। ऐसे में आरोपित दूसरी जगह नाम बदलकर घटनाओं को अंजाम देता रहता है। पहचान नहीं होने से पुलिस व प्रशासन के लिए बड़ा सिरदर्द बन जाता है।
एक माह में देनी होगी रिपोर्ट
प्रदेश में बढ़ रही घटनाओं को ध्यान में रखते हुए राजस्थान महिला आयोग की ओर से सभी जिला कलक्टरों को समस्त स्टॉफ का पुलिस वेरिफिकेशन करवाकर एक माह के अन्दर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश जारी किए है। इसके अलावा सभी निजी विद्यालयों में निगरानी के लिए सीसीटीवी लगाने के लिए भी कहा गया है।
प्रदेश में बढ़ रही घटनाओं को ध्यान में रखते हुए राजस्थान महिला आयोग की ओर से सभी जिला कलक्टरों को समस्त स्टॉफ का पुलिस वेरिफिकेशन करवाकर एक माह के अन्दर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश जारी किए है। इसके अलावा सभी निजी विद्यालयों में निगरानी के लिए सीसीटीवी लगाने के लिए भी कहा गया है।
गुरुग्राम के बाद राजस्थान शर्मसार : दो शिक्षकों ने 12वीं की छात्रा से किया रेप, तबीयत बिगड़ी तो हुआ खुलासा महिला उत्पीडऩ मामले में झुंझुनूं दूसरे नम्बर पर
राजस्थान महिला आयोग के अधिकारियों की माने तो महिला उत्पीडऩ के मामलों में प्रदेश में भरतपुर पहले व झुंझुनूं दूसरे नम्बर पर है।राजस्थान महिला आयोग में झुंझुनूं से प्रतिदिन शिकायतें प्राप्त होती है। सस्ते के चक्कर में नियुक्ति सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों का नियुक्ति के पूर्व पुलिस वेरीफिकेशन करवाया जाता है। दूसरी तरफ कम वेतन देने के चक्कर में निजी स्कूल संचालक बिना की जांच-पड़ताल के व्यक्ति को अध्यापन कार्य के लिए रख लेते है। ऐसे में अपराधिक किस्म के लोगों की ओर से पढऩे वाले विद्यार्थियों के साथ घिनौना कृत्य करने से नहीं चूकते हैं। इसके बाद मौका पाकर फरार हो जाते हैं।
राजस्थान महिला आयोग के अधिकारियों की माने तो महिला उत्पीडऩ के मामलों में प्रदेश में भरतपुर पहले व झुंझुनूं दूसरे नम्बर पर है।राजस्थान महिला आयोग में झुंझुनूं से प्रतिदिन शिकायतें प्राप्त होती है। सस्ते के चक्कर में नियुक्ति सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों का नियुक्ति के पूर्व पुलिस वेरीफिकेशन करवाया जाता है। दूसरी तरफ कम वेतन देने के चक्कर में निजी स्कूल संचालक बिना की जांच-पड़ताल के व्यक्ति को अध्यापन कार्य के लिए रख लेते है। ऐसे में अपराधिक किस्म के लोगों की ओर से पढऩे वाले विद्यार्थियों के साथ घिनौना कृत्य करने से नहीं चूकते हैं। इसके बाद मौका पाकर फरार हो जाते हैं।