पकौड़ी हो तो गुढ़ागौडज़ी जैसी
गुढागौडज़ी. कस्बे में सरकारी अस्पताल के बाहर बिकने वाली पकौड़ी अपने अनोखे स्वाद के लिए काफी प्रसिद्ध है। गुढागौडज़ी के रतनलाल यहां पिछले 35 वर्षों से पकौड़ी बना रहे है। मूंग और मोठ की दाल से बनने वाली इन पकौडिय़ों का स्वाद आस-पास के गांवों तक भी चखा जाता है। रतनलाल शर्मा ने बताया कि खासकर सर्दियों में इनकी मांग ज्यादा रहती है। इन दिनों ग्राहकों की लाइन इनकी दुकान के आगे हर वक्त लगी रहती है।
चिड़ावा के पेड़ों का जायका अलग, देशभर में डिमांड
चिड़ावा.झुंझुनूं जिले का चिड़ावा शहर लजीज पकवानों के कारण देशभर में पहचान रखता है। यहां के पेड़ों ने अलग पहचान बनाई है। प्रतिदिन चिड़ावा से लाखों के पेड़े ब्रिकी होते हैं। जिसे खरीदने के लिए बाहर से भी लोग पहुंचते हैं। मिठाई में चिड़ावा का पेड़ा ब्रांड बन चुका है। जिसका सालाना व्यापार 50 करोड़ के बीच पहुंच जाता है। इस व्यवसायी से चार-पांच हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिल रहा है। मिठाईव्यवसायी रजनीश राव और शीशराम हलवाई बताते हैं, चिड़ावा में करीब नौ दशकों से पेड़े बनाए जा रहे हैं। जिसके स्वाद व शुद्धता में कोई फर्क नहीं आया। यहां के पेड़ों की विशेषता है कि लंबे समय तक खराब भी नहीं होते। जिसकी वजह शुद्ध मावा, यहां का पानी, दूध व उसकी घुटाई को माना जाता है।
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