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शरद पूर्णिमा को निशुल्क दवा बांट रहा झुंझुनूं का यह अल्पसंख्यक परिवार

locationझुंझुनूPublished: Oct 26, 2020 10:29:32 pm

हिंदु धर्म की मान्यता एवं शास्त्रों में भी लिखा है, कि शरद पूर्णिमा पर रात को निकलने वाली चांद की किरणें स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं। दमा, श्वास व एलर्जी जैसे रोगों के लिए यह किरण कारगर साबित होती हैं।

शरद पूर्णिमा को निशुल्क दवा बांट रहा झुंझुनूं का यह अल्पसंख्यक परिवार

शरद पूर्णिमा को निशुल्क दवा बांट रहा झुंझुनूं का यह अल्पसंख्यक परिवार

झुंझुनूं. शहर का एक परिवार पिछले चालीस वर्ष से शरद पूर्णिमा को औषधी का निशुल्क वितरण कर रहा है। इस दवा को लेने के लिए पूरे जिले के अलावा हरियाणा, दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तराखंड व उत्तरप्रदेश से भी लोग आते हैं। हर बार करीब तीन हजार से ज्यादा लोगों को इस दवा का निशुल्क वितरण किया जाता है। इस बार भी शरद पूर्णिमा पर 30 अक्टूबर (शुक्रवार) को सुबह नौ बजे से जिला मुख्यालय के इंदिरा नगर में इस दवा का वितरण होगा। खास बात यह है यह परिवार पिछले कई दशकों से दुर्गा पूजा व नवरात्र सहित अनेक धार्मिक कार्यक्रमों में भी शामिल हो रहा है।
डॉ. एसडी चोपदार हैल्थ ऐजुकेशन सोसायटी के सचिव एवं डॉ. सलाउदीन चोपदार के पुत्र एमडी. चोपदार ने बताया कि उनके पिताजी डॉ. एसडी चोपदार आयुर्वेद में सरकारी चिकित्सक थे। बाद में उन्होंने खुद का चिकित्सालय खोल लिया। उन्होंने आयुर्वेदिक दवाई पर मुख्य रूप से साइंटिफिक रिसर्च किया। हिंदु धर्म की मान्यता एवं शास्त्रों में भी लिखा है, कि शरद पूर्णिमा पर रात को निकलने वाली चांद की किरणें स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं। दमा, श्वास व एलर्जी जैसे रोगों के लिए यह किरण कारगर साबित होती हैं। इस पर पूरी रिसर्च की गई। शास्त्रों पर रिसर्च कर यह आयुर्वेदिक औषधि बनाई गई हैं, जिसे चांद के सामने देर रात को दमा, श्वास, एलर्जी से पीडि़त मरीज शरद पूर्णिमा के दिन खीर में मिलाकर दवा खाते हैं।

शरद पूर्णिमा पर अमृतसिद्धि योग में चंद्र किरणों से बरसेगा अमृत

पंडित दिनेश मिश्रा ने बताया कि आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस दिन धवल चांदनी में चंद्रमा अमृत की किरण बरसाता है। इस समय चंद्रमा धरती के एकदम नजदीक रहता है। शरद पूर्णिमा पर भक्त अपने इष्ट और आराध्य को खीर का भोग लगाते हैं ।धर्म, अध्यात्म व आयुर्वेद की दृष्टि यह दिन विशेष माना जा रहा है। इस दिन मध्यरात्रि में चंद्रमा की रोशनी में केसरिया दूध व खीर प्रसादी रखने तथा मध्यरात्रि के उपरांत सेवन करने की परंपरा है। मान्यता है इससे रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है तथा मनुष्य वर्षभर निरोगी रहता है।
पंडित दिनेश मिश्रा के अनुसार 30 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा शुक्रवार के दिन है। संयोग से इस दिन मध्यरात्रि में अश्विनी नक्षत्र रहेगा। 27 योगों के अंतर्गत आने वाला वज्रयोग, वाणिज / विशिष्ट करण तथा मेष राशि का चंद्रमा रहेगा।
वर्षों बाद आ रहे ऐसे संयोग में आयु व आरोग्यता के लिए आयुर्वेद का लाभ लिया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में अलग-अलग योग संयोग का उल्लेख है। इनमें अमृतसिद्घि, सर्वार्थसिद्घि, त्रिपुष्कर, द्विपुष्कर या रवियोग विशिष्ट योग माने गए हैं। शरदपूर्णिमा पर मध्यरात्रि में शुक्रवार के साथ अश्विनी नक्षत्र होने से अमृतसिद्घि योग बन रहा है। इस योग में विशेष अनुष्ठान, जप, तप, व्रत किया जा सकता है।

शुक्रवार को शरद पूर्णिमा इसलिए मनेगी

शुक्रवार को पूर्णिमा तिथि सायंकाल काल 5.50 से शुरू होगी जो शनिवार को रात्रि 8.20 तक रहेगी। शरद पूर्णिमा रात्रिकालीन पर्व है इसलिए पूर्णिमा तिथि शुक्रवार की रात में रहने से शरद पूर्णिमा शुक्रवार की रात को मनाई जाएगी। सत्यनारायण भगवान का व्रत शनिवार को होगा ।
मोह रात्रि की मान्यता
पौराणिक मान्यता में तीन रात्रि विशेष मानी गई हैं। इनमें मोहरात्रि, कालरात्रि तथा सिद्धरात्रि विशेष है। शरद पूर्णिमा को मोह रात्रि कहा गया है। इसका उल्लेख श्रीमद्देवीभागवत के शिव लीला कथा में मिलता है। कथानक के अनुसार शरद पूर्णिमा पर महारास के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने शिव पार्वती का निमंत्रण भेजा। माता पार्वती ने जब शिव से आज्ञा मांगी, तो शिव ने मोहित होकर स्वयं ही वहां जाने की इच्छा वयक्त की। इसलिए इस रात्रि को मोह रात्रि भी कहा जाता है।

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