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वीर था श्योराम, दोस्तों से कहता था, दुश्मन को मारे बिना नहीं दूंगा जान

locationझुंझुनूPublished: Feb 18, 2019 07:22:12 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

उपखंड मुख्यालय से करीब 24 किलोमीटर दूर हरियाणा की सीमा पर छोटे से गांव टीबा की आज हर आंख नम है तो सीना गर्व से फूल भी रहा है।

shyoram siradhana khetri
खेतड़ी(झुंझुनूं)। उपखंड मुख्यालय से करीब 24 किलोमीटर दूर हरियाणा की सीमा पर छोटे से गांव टीबा की आज हर आंख नम है तो सीना गर्व से फूल भी रहा है। यहां के लाडले को खोने का गम तो जीवन भर सालता रहेगा, लेकिन गर्व इस बात का भी है उसने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। वह जब दिसम्बर में छुट्टियों में आया था तब कहकर गया था, कभी पीठ नहीं दिखाऊंगा।
देश के लिए जान देने से पहले दुश्मनों का सफाया जरूर करूंगा। बिना दुश्मन को मारे वह प्राण न्योछावर नहीं करेगा। आज उसकी यही बात हर किसी की जुबां पर छाई हुई है। श्योराम गुर्जर के सहपाठी रहे हरिशरण गुप्ता ने बताया, श्योराम गुर्जर मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे। वे जब भी छुट्टी पर आते थे सभी से मिलकर जाते थे।
दुश्मनों को मारते हैं मेरे पापा, मैं भी जाऊंगा फौज में
श्योराम काचार साल का बेटा खुशांक निजी स्कूल में पढ़ता है। वह सोमवार को भी अन्य दिनों की तरह स्कूल आया। उसे नहीं पता कि उसके सिर से अब पिता का साया उठा चुका है। उसने कहा, मेरे पापा फौज में है। दुश्मनों को बंदूक से मारते हैं। मैं भी बड़ा होकर फौज में जाऊंगा। मैं भी दुश्मनों को मारूंगा। मासूम से जब यह बात सुनी तो वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गई।
कहा था संतान के जन्म पर आऊंगा
श्योराम आखिरी बार दिसम्बर में आए थे। तब कहा कि वह अब संतान के जन्म पर आएगा। वह संतान के जन्मने से पहले आ तो गया, लेकिन तिरंगे में लिपटकर।
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