देश के लिए जान देने से पहले दुश्मनों का सफाया जरूर करूंगा। बिना दुश्मन को मारे वह प्राण न्योछावर नहीं करेगा। आज उसकी यही बात हर किसी की जुबां पर छाई हुई है। श्योराम गुर्जर के सहपाठी रहे हरिशरण गुप्ता ने बताया, श्योराम गुर्जर मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे। वे जब भी छुट्टी पर आते थे सभी से मिलकर जाते थे।
दुश्मनों को मारते हैं मेरे पापा, मैं भी जाऊंगा फौज में
श्योराम काचार साल का बेटा खुशांक निजी स्कूल में पढ़ता है। वह सोमवार को भी अन्य दिनों की तरह स्कूल आया। उसे नहीं पता कि उसके सिर से अब पिता का साया उठा चुका है। उसने कहा, मेरे पापा फौज में है। दुश्मनों को बंदूक से मारते हैं। मैं भी बड़ा होकर फौज में जाऊंगा। मैं भी दुश्मनों को मारूंगा। मासूम से जब यह बात सुनी तो वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गई।
श्योराम काचार साल का बेटा खुशांक निजी स्कूल में पढ़ता है। वह सोमवार को भी अन्य दिनों की तरह स्कूल आया। उसे नहीं पता कि उसके सिर से अब पिता का साया उठा चुका है। उसने कहा, मेरे पापा फौज में है। दुश्मनों को बंदूक से मारते हैं। मैं भी बड़ा होकर फौज में जाऊंगा। मैं भी दुश्मनों को मारूंगा। मासूम से जब यह बात सुनी तो वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गई।
कहा था संतान के जन्म पर आऊंगा
श्योराम आखिरी बार दिसम्बर में आए थे। तब कहा कि वह अब संतान के जन्म पर आएगा। वह संतान के जन्मने से पहले आ तो गया, लेकिन तिरंगे में लिपटकर।
श्योराम आखिरी बार दिसम्बर में आए थे। तब कहा कि वह अब संतान के जन्म पर आएगा। वह संतान के जन्मने से पहले आ तो गया, लेकिन तिरंगे में लिपटकर।