ग्रामीण बुद्धिप्रकाश गुप्ता, अजय पाण्डे, मंगलसिंह शेखावत व हरिशरण गुप्ता ने बताया कि धाम में सभी देवी-देवाताओं के अलग-अलग मन्दिर बने हुए हैं। जिनमे मूर्तियां लगी हुई है। इनमे मां अन्न पूर्णा, नव दुर्गा, लक्ष्मी, गणेश, शिव, हनुमान सहित सैकड़ों देवी-देवताओं के मंदिर बने हुए हंै। मन्दिर की एक खूबी यह भी है कि इसका अग्रभाग व मुख्यद्वार राजस्थान के बसई क्षेत्र में है तथा पिछला भाग हरियाणा के बामणवास क्षेत्र में आता है। धाम के सम्पूर्ण मन्दिर के निर्माण कार्य, मूर्तियों व भित्ती चित्रों, शीशे में गीता व रामायण लेखन का कार्य एक ही कारीगर गजानंद कुमावत खेतड़ी वाले के निर्देशन में कारीगरों की टीम ने किया।
शीशे पर उकेरी गीता धाम में स्थित गीता भवन में श्रीमद् भागवत गीता के 18 अध्याय शीशे में उकेर कर लिखे गए हैं। इसमे चित्रकार ने शीशे में अंदर की तरफ उल्टे शब्द लिखे हैं जो बाहर से एक-एक सीधे दिखते हैं। इस प्रकार कलाकृति को देखने के लिए दर्शनार्थी दूर-दूर से आते हंै।
सम्पूर्ण मन्दिर में दीवारों पर हजारों भित्ती चित्र बने हुए हैं। इनमे हजारों देवी-देवताओं, समस्त ऋषियों, महात्माओं, शक्ति पीठों, नव दुर्गा के चित्र बने हैं।
धाम के मुख्यद्वार के सामने 41 फीट की विशालकाय बजरंग बली की प्रतिमा है। यहां जो भी यात्री जीप, कार या अन्य वाहन लेकर आते हंै वे वाहन से मूर्ति की परिक्रमा करते हैं। धाम में शिव मन्दिर में एक पत्थर से बना 10 फीट का शिवलिंग है जो खेतड़ी उपखण्ड में स्थित शिव मन्दिरों में सर्वाधिक बड़ा है। हाथी व नंदी की विशालकाय प्रतिमाएं भी लगी हुई है। हाथी व नंदी की प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 21 फीट है।
धाम में रामनवमी पर विशाल मेले का आयोजन होता है। इस अवसर पर बसई, मेहाड़ा, सिहोड़, खेतड़ी सहित निकटवर्ती हरियाणा के हजारों श्रद्धालु व सैकड़ों की संख्या में प्रवासी दर्शनों के लिए आते हैं।