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झुंझुनूं का बहादुरवास गांव पूरा आइसोलेट

locationझुंझुनूPublished: Apr 01, 2020 09:41:04 pm

Submitted by:

Rajesh

कोई भी व्यक्ति घर से बाहर नहीं निकलता। सभी दुकानें बंद हैं। किसी के गम हो या खुशी का माहौल…अगले दो माह तक कोई भी व्यक्ति नहीं जाएगा। संवेदना भी केवल मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से प्रकट की जाएगी। खुशी का मौका होगा तो भी बधाई मैसेज के माध्यम से ही मान्य होगी।

झुंझुनूं का बहादुरवास गांव पूरा आइसोलेट

झुंझुनूं का बहादुरवास गांव पूरा आइसोलेट

मंडावा (झुंझुनूं). महामारी से बचने के लिए बहादुरवास के ग्रामीणों ने अनूठा तरीका अपनाया है। करीब साढ़े तीन सौ घरों वाला पूरा गांव खुद आइसालेट हो गया है। हजार-पंद्रह सौ (वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 1076 व्यक्ति) की आबादी वाले इस गांव में सभी लोगों ने अपने आप को आइसोलेट कर रखा है। कोई भी व्यक्ति घर से बाहर नहीं निकलता। सभी दुकानें बंद हैं। किसी के गम हो या खुशी का माहौल…अगले दो माह तक कोई भी व्यक्ति नहीं जाएगा। संवेदना भी केवल मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से प्रकट की जाएगी। खुशी का मौका होगा तो भी बधाई मैसेज के माध्यम से ही मान्य होगी।
निगरानी कमेटी यहां 22 मार्च से लगातार जनता कफ्र्यू
गांव के नेमीचंद जानू, पूर्व प्राचार्य शिशपाल, राजवीर जानू, कुरड़ाराम व सुरेश ने बताया कि गुवाड़ में चोपड़ व ताश खेलने वालों सहित अनेक लोगों का दिनभर जमघट लगा रहता था। अब गांव ने कमेटी बनाकर सभी पर पाबंदी लगा दी है। यहां 22 मार्च के बाद से पूरे गांव ने खुद पर जनता कफ्र्यू लगा रखा है।
सहयोग समिति कर रही ग्रामीणों की सहायता
गांव के सरपंच सुरेश सुंडा ने बताया कि एक सहयोग समिति का गठन किया है। समिति किसी परिवार के पास खाद्य सामग्री की कमी होने पर सहायता कर रही है। हालांकि गांव में ऐसा कोई परिवार नहीं है जो जरूरतमंद हो। फिर भी बहादुरवास पंचायत के गांव सैंसवास व रणजीतपुरा में भी जरूरतमंद की समिति अपने स्तर सहायता करेगी।
अब किसी को एंट्री नहीं
गांव में बाहर से आए 11 लोग भी आइसोलेट हैं। जिनमें एक ओमान, एक भीलवाड़ा, चेन्नई, दिल्ली, कोटपूतली, नीमराना व जयपुर से आए हैं। इनका दो बार सर्वे हो चुका है। प्रशासन को सूचित कर दिया है। एएनएम जांच कर चुकी है। अभी सभी स्वस्थ हंै। गांव में इनका पूरा ध्यान रखा जा रहा है। करीब अस्सी परिवार राजस्थान के विभिन्न जिलों व अन्य प्रांतो में स्वयं का आवास बनाकर रह हैं। वे जहां हैं, वहीं रहेंगे। एक निर्णय के अनुसार अब कोई गांव नहीं आएगा।
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