दर्दभरी दास्तां: बेटे का जन्म हुआ तो घर में छा गई खुशियां, लेकिन जब हकीकत का पता चला तो एक झटके में टूट गया परिवार
खुशियों का उस समय ग्रहण लग गया जब महेन्द्र एवं उसके परिवार को इस बात का पता चला कि कुशांत के दिल में छेद है।

मलसीसर.
निकटवर्ती गांव बास हरिपुरा निवासी महेन्द्र कुमार के घर में एक बेटे का जन्म हुआ तो घर में खुब खुशियां दौड़ पड़ी। समय के साथ-साथ सब कुछ ठीक चल रहा था महेन्द्र का पुत्र कुशान्त भी अब बड़ा होने लगा था। एक दिन इन खुशियों का उस समय ग्रहण लग गया जब महेन्द्र एवं उसके परिवार को इस बात का पता चला कि कुशांत के दिल में छेद है। हालाकि यह समस्या उसे जन्म से ही थी। अब मजदूरी कर अपना एवं परिवार का पेट पालने वाले महेन्द्र के सामने कुशांत का उपचार कराना किसी पहाड़ को खोदने से कम नहीं था। कुशान्त को कई चिकित्सकों को दिखाया जहां सभी चिकित्सकों का एक ही जबाब था कि उसके दिल का ऑपरेशन जयपुर या दिल्ली के बड़े अस्पताल में होगा जिसका खर्च लाखों में होगा। एक गरीब मजदूर की आर्थिक हालत ऐसी नहीं थी कि वो अपने बेटे का इलाज बड़े अस्पताल में करवा सके। इसलिए पिता महेन्द्र बेबसी के साथ दिन-रात चिन्ता में रहता था, गांव के बाकी सब बच्चे खेलते कूदते और कुशान्त उदास व निराश मन से सिर्फ देखता रहता था। पिता महेन्द्र ने कुशान्त का पंजीकरण गांव के एक आंगनबाड़ी केन्द्र में करा रखा था। फिर एक दिन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य की टीम गांव बास हरिपुरा की आंगनबाड़ी में पहुंची, वहां बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया तभी टीम को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि कुशान्त के दिल में छेद है। टीम ने कुशान्त को इलाज के लिए चिन्हित किया गया, इसके बाद टीम ने कुशान्त को इलाज के लिये जिले के बीडीके अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। जहां पर कुशान्त की जांच की गई। यहां से कुशान्त के लिये जयपुर के नारायणा हरदयाल अस्पताल में रेफर कर दिया जहां पर गत 29 मार्च को कुशान्त के दिल का सफल ऑपरेशन हुआ। जब सात दिन बाद ब्लॉक सीएमएचओ डॉ. मनोज डूडी व स्वास्थ्य विभाग की टीम के सदस्य डॉ. विकास सोलंकी, डॉ. समीर खान व नर्सिंग स्टाफ अजय कुमार व महिला स्वास्थ्य कार्यकत्र्ता प्रमोद के साथ फॉलोअप लेने गये तो पाया की कुशान्त अपने साथ के बच्चों के साथ खेल रहा है, और वह आज पूरी तरह से स्वस्थ हो चुका है।
इनका कहना है...
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत राजकीय विद्यालय, आंगनबाड़ी केन्द्र व पंजीकृत मदरसों में बच्चों की स्क्रीनिंग की जाती है एवं इनमे पाये गये चार विकार (4 डी) डिफेक्ट फ्रॉम बर्थ, डेफिशियेंसी, डीजीजेज एन्ड डवलपमेंट डीले वाले बच्चों का मिशन के तहत नि: शुल्क उपचार व ऑपरेशन करवाये जाते है।-डॉ मनोज डूडी बीसीएमओ
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