scriptसात समंदर पार पहुंच रही झुंझुनूं की कैर सांगरी | Taste of Shekhawati's Saangri reached abroad | Patrika News

सात समंदर पार पहुंच रही झुंझुनूं की कैर सांगरी

locationझुंझुनूPublished: Apr 06, 2021 10:31:11 am

Submitted by:

Jitendra

रेगिस्तानी इलाके में उगने वाली कैर व सांगरी की मांग अप्रवासी राजस्थानी, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल आसाम सहित कई राज्यों तक बढ़ रही है। शेखावाटी क्षेत्र के लाखों कामगार खाड़ी देशों में काम करते हैं। दुबई में भी इनकी संख्या काफी है। शेख उनसे देसी स्वाद के लिए शेखावाटी की कैर-सांगरी मंगवा रहे हैं। कामगारों के जरिए ही कैर-सांगरी का स्वाद शेखों की जुबां तक पहुंचा है।

सात समंदर पार पहुंच रही झुंझुनूं की कैर सांगरी

सात समंदर पार पहुंच रही झुंझुनूं की कैर सांगरी

झुंझुनूं. सूखे क्षेत्र में उगने वाली कैर सांगरी का स्वाद अब देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक पहुंच गया है। महंगे शौक रखने वाले दुबई के शेख भी शेखावाटी की कैर सांगरी मंगवा रहे हैं। मलसीसर निवासी नेक मोहम्मद ने बताया कि शेखावाटी क्षेत्र के लाखों कामगार खाड़ी देशों में काम करते हैं। दुबई में भी इनकी संख्या काफी है। शेख उनसे देसी स्वाद के लिए शेखावाटी की कैर-सांगरी मंगवा रहे हैं। कामगारों के जरिए ही कैर-सांगरी का स्वाद शेखों की जुबां तक पहुंचा है। सफी मोहम्मद व इलियास ने बताया कि हवाई जहाज में वजन की सीमा होती है, लेकिन हम हमारा सामान कम कर देते हैं, लेकिन शेखों के मंगवाने पर कैर व सांगरी हर बार जरूर लेकर जाते हैं। शब्बीर अली काजी ने बताया कि शेखों को गीली से ज्यादा सूखे कैर व सांगरी ज्यादा पसंद है। वे इसे बड़े चाव से खाते हैं। रेगिस्तानी इलाके में उगने वाली कैर व सांगरी की मांग अप्रवासी राजस्थानी, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, पश्चिमी बंगाल आसाम सहित कई राज्यों तक बढ़ रही है। कैर के झाडिय़ों पर तथा सांगरी खेजड़ी के पेड़ पर पैदा होती है। इस पर 48 डिग्री तापमान व तेज सर्दी का भी खास असर नहीं होता। साथ ही इसमें किसी प्रकार का खाद व दवा का प्रयोग नहीं होता इसलिए पूर्ण रूप से शुद्ध सब्जी है। ग्रामीण क्षेत्रों में इन दिनों ग्रीष्मकालीन सब्जी कैर, सांगरी तथा कुमटी की बहार छाई हुई है। गीली(ताजा) होने पर आचार बनाया जाता है। इसे सुखाकर भी सब्जी बनाई जाती है। शेखावाटी की हर शादी व बड़े आयोजनों में कैर सांगरी की सब्जी तो अनिवार्य रूप से बनती ही है।
मिट्टी के मटके उपयोग
कैर को खाने योग्य बनाने के लिए मिट्टी के मटके में पानी में नमक का घोल बनाकर कई दिनों तक डुबोकर रखा जाता है। जिससे इसका कड़वापन खत्म होकर खट्टा मीठा स्वाद हो जाता है।
अनेक औषधीय गुण
कैर में कैल्शियम, आयरन, विटामिन ए और कार्बोहाइड्रेट प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एंटी ऑक्सीडेंट युक्त कैर और सांगरी की सब्जी विभिन्न रोगों से बचाती है। कैर के डंठल से बने चूर्ण से कफ और खांसी में आराम होता है। कैर की छाल के चूर्ण से पेट साफ रहता है और कब्ज की समस्या दूर होती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। कैर व सांगरी की सब्जी बनाने से पहले इसको उबालना जरूरी है।
मधुसूदन शर्मा, आयुर्वेद चिकित्सक, मलसीसर
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