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करोड़ों रुपए के टीके उत्पादित करने के बाद लेबोरेट्री में जांच की तो टीके निकले अमानक

locationझुंझुनूPublished: Sep 25, 2020 09:37:28 am

Submitted by:

Jitendra

पशुओं में मुंहपका व खुरपका रोग की रोकथाम के लिए टीके लगाए जाने थे। ऐसे में प्रथम फेज में जिन जिलों में अभियान के माध्यम से पशुओं का टीकाकरण होना था, वहां पर करोड़ों रुपए की लागत से टीके बनवाकर भिजवा दिए गए। परंतु बाद में इसकी गुणवत्ता जांची गई तो ये अमानक निकले और सरकार को यह कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा

करोड़ों रुपए के टीके उत्पादित करने के बाद लेबोरेट्री में जांच की तो टीके निकले अमानक

करोड़ों रुपए के टीके उत्पादित करने के बाद लेबोरेट्री में जांच की तो टीके निकले अमानक

झुंझुनूं. प्रदेश में पशुओं में खुरपका और मुंहपका रोग पर रोक लगाने के लिए जारी किए लाखों रुपए के टीके अमानक निकले हैं। जिसकी वजह से पशुपालन विभाग की ओर से शुरू किए जाने वाला राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही स्थगित हो गया। केन्द्रीय योजना के अन्तर्गत भैंस एंव गोवंश पशुओं में खुरपका मुंह रोग के बचाव का टीकाकरण प्रदेश के प्रथम फेज में शामिल 15 जिलों व द्वितीय फेज में 18 जिलों में यह कार्यक्रम चलना था।
#Millions of rupees vaccines produced

पहला फेज: 15 जिले
उदयपुर, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, चितौडगढ़़, सवाईमाधोपुर, भरतपुर, धौलपुर, बूंदी, बारां, झालावाड़, कोटा, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, जालौर, सिरोही में 21 सितम्बर से 04 नवम्बर तक चलना था।

द्वितीय फेज: 18 जिले
द्वितीय फेज में शामिल 18 जिलों जयपुर, झुंझुनूं, जैसलमेर, अजमेर, बिकानेर, अलवर, दौसा,चूरु, सीकर, करौली, टोंक, बाड़मेर, नागौर, पाली, राजसमंद, जोधपुर, गंगानगर, हनुमानगढ़ ओर कुचामन सिटी में 12 अक्टूबर से 25 नवम्बर तक एनएडीसीपी टीकाकरण अभियान शुरू होना था।
#Vaccines came out non-standard

निदेशक ने जारी किए स्थगित करने के आदेश
पशुपालन विभाग के निदेशक डा. वीरेंद्रसिंह ने अभियान के प्रथम फेज को स्थगित करने के आदेश जारी किए हैं। आदेश में बताया कि संयुक्त सचिव स्वास्थ्य एवं प्रबन्ध निदेशक एनएडीसीपी पशुपालन एवं डेयरी विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली का पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें मेसर्स ब्रिलिऐंट बायोफार्मा की ओर से अन्य राज्यों को आपूर्ति किए गए दो बैच में गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं पाया जाना अवगत करवाया गया है। उक्त निर्माता फर्म की ओर से उत्पादित टीके राजस्थान राज्य को भी आपूर्ति की गई है। राजस्थान राज्य में आपूर्ति बैच की गुणवत्ता जांच होने तक भारत सरकार की ओर से राजस्थान राज्य में भी आगामी निर्देशों तक टीकाकरण अभियान रोके जाने के निर्देश प्रदान किए हैं। ऐसे में सम्बंधित जिला अधिकारियों को निर्देश दिए है कि वैक्सीन का तय मानकों पर शीत संधारण जिला मुख्यालय पर ही किया जाए। यदि ब्लॉक मुख्यालय या अन्य स्थान पर वैक्सीन वितरित की गई है, तो पुन: जिला मुख्यालय पर मंगवाकर वोक इन कूलर्स या कोल्ड या कोल्ड रुम में सुरक्षित शीत संधारित की जाए।
#National animal disease control program postponed before start

जवाब मांगते सवाल….

1. पूर्व में भी ब्रिलिऐंट बायोफार्मा की ओर से प्राप्त वैक्सीन से एफएमडी टीकाकरण अभियान के चरण राजस्थान राज्य में सम्पन्न हुए हैं। जिस दौरान टीकाकरण करने के पश्चात भी पशुओं में खुरपका व मुंहपका रोग के लक्षण देखने को मिले थे। ऐसे में सवाल उठता है कि पूर्व में भी उचित गुणवत्ता के टीके उपलब्ध नहीं करवाएं गए थे।
2.भारत सरकार के निर्देशानुसार पशुओं में एफएमडी टीकाकरण के लिए इयर टेग लगाया जाना अनिवार्य है (नो टेग नो वैक्सीन) अर्थात जिस पशु के टीकाकरण करना है उसके कान में टैग लगाना भी अनिवार्य है। ऐसे में प्रदेश के लगभग एक करोड़ से अधिक पशुओं का टीकाकरण ओर टैग लगाने का काम अमानक टीकों के कारण अटक गया।
3. टेगिंग व टीकाकरण दोनों कार्य टीम बनाते हुए टीम का प्रभारी पशुचिकित्सक नियुक्त कर पशु चिकित्सक की उपस्थिति में पशुपालन विभाग को अभियान आयोजित करवाना चाहिए।

4. बाजार में उच्च गुणवत्ता की उपलब्ध कमाइंड प्राइवेट वैक्सीन रक्षा ट्राईवेक की तरह पशुपालन विभाग को भी एक साथ वैक्सीन उपलब्ध करवानी चाहिए।
5. उतरप्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में केन्द्रीय राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अन्तर्गत एफएमडी (खुरपका मुंह पका) रोग का टीकाकरण निशुल्क किया जाता है जबकि राजस्थान राज्य में पशुपालकों से दो रुपए टीके के वसूले जाते हैं। जो पूर्णतया पशुपालकों के साथ अन्याय है। इसलिए राजस्थान राज्य में भी खुरपका मुंहपका) टीकाकरण अभियान निशुल्क किया जाए।
इनका कहना है….
पहले चरण वाले जिलों में अभियान को स्थगित किया गया है। अपने जिले में दूसरे चरण में शुरू होगा। पहला चरण में टीके अमानक होने के कारण स्थगित किए गए थे। अपने यहां 12 अक्टूबर से शुरू होगा, जिसके लिए टीके आए हैं।
सुरेंद्र सैनी, निदेशक पशुपालन विभाग (झुंझुनूं)
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