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वेलेेंटाइन डे विशेष: उनकी प्रेम निशानी से बच्चे संवार रहे भविष्य, चल रहे विद्या के मंदिर

locationझुंझुनूPublished: Feb 14, 2020 12:55:03 pm

Submitted by:

gunjan shekhawat

jhunjhunu news: झुंझुनूं. अपने प्यार को यादगार बनाने के लिए हर व्यक्ति कुछ अलग करने का प्रयास करता है। झुंझुनंू के कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने ने अपने प्यार को यादगार बनाने के लिए कुछ अलग किया। शिक्षा ही व्यक्ति का सर्वांगीण विकास कर सकती है। झुंझुनूं के कई लोगों ने शिक्षा की अलख जगाने के लिए ऐसा ही किया।अपनी पत्नी की याद में स्कूल-कॉलेज का निर्माण करवाया।

उनकी प्रेम निशानी से बच्चे संवार रहे भविष्य, चल रहे विद्या के मंदिर

उनकी प्रेम निशानी से बच्चे संवार रहे भविष्य, चल रहे विद्या के मंदिर

गुंजन शेखावत/ रमाकांत वर्मा
झुंझुनूं. अपने प्यार को यादगार बनाने के लिए हर व्यक्ति कुछ अलग करने का प्रयास करता है। झुंझुनंू के कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने ने अपने प्यार को यादगार बनाने के लिए कुछ अलग किया। शिक्षा ही व्यक्ति का सर्वांगीण विकास कर सकती है। झुंझुनूं के कई लोगों ने शिक्षा की अलख जगाने के लिए ऐसा ही किया।अपनी पत्नी की याद में स्कूल-कॉलेज का निर्माण करवाया। जिससे आज भी समाज लाभान्वित हो रहे हैं। जहां एक ओर प्रेम में बनाई निशानी यादगार हो रही है वहीं दूसरी ओर उसमें शिक्षा के माध्यम से हजारों बच्चे अपना भविष्य संवार रहे हैं।
अशोक नगर में महावीर प्रसाद ने बनाया विद्यालय

बगड़ के महावीर प्रसाद शर्मा ने पत्नी शांतिदेवी की स्मृति को यादगार बनाने के लिए स्कूल का निर्माण करवाया। उनकी पत्नी शांतिदेवी को कैंसर था। उन्हें पत्नी के इलाज के लिए कभी जयपुर तो कभी बीकानेर जाना पड़ता।सन् 1968 में उनकी पत्नी का निधन हो गया। उन्होंने उस समय अपनी पत्नी की स्मृति को यादगार बनाने के लिए कुछऐसा करने की ठानी जिससे पूरे समाज का हित हो सके। उस समय बगड़ कस्बे में तो शिक्षा की समुचित व्यवस्था थी, लेकिन गांवों में शिक्षा का अभाव था। उन्होंने गांवों में भी शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने के लिए अशोक नगर में स्कूल का निर्माण सन् 1969 में करवाया।वहां के ही दो शिक्षकों को पढ़ाने के लिए रखा।उन्होंने वहां के लोगों को बच्चों को स्कूल में भेजकर शिक्षित करने का आह्वान किया। इस स्कूल 1975 में सरकार ने अधिग्रहण कर लिया। वर्तमान में यह स्कूल शांतिदेवी शर्मा राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के नाम से संचालित है। स्कूल में वर्तमान में आठ कमरे तथा एक हॉल है।
विदेशी महिला की प्रेम की यादें मलसीसर में जिंदा

मलसीसर. कस्बे में पले बढ़े अमेरिका प्रवासी डॉ. सुरेन्द्र कौशिक ने अपनी विदेशी पत्नी हैलेना की यादें संजोए रखने के लिए मलसीसर में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए महिला महाविद्यालय की स्थापना की। लक्ष्मीनारायण पुजारी के घर रतनी देवी की कोख से 21 जून 1944 को जन्मे सुरेन्द्र कौशिक ने मलसीसर में अपनी पत्नी हैलिना कौशिक के नाम से 7 अगस्त 1999 को एक अस्थाई भवन में महिला महाविद्यालय शुरू किया। डॉ. कौशिक अमेरिका के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे। जिन्होंने अमेरिका की हैलिना को अपना जीवन साथी बनाया। महिला महाविद्यालय के नए भवन का निर्माण करवाया जिसमें आज क्षेत्र की लगभग 550 बालिकाएं शिक्षा ग्रहण कर रही है। हैलिना कौशिक महिला महाविद्यालय में समय समय पर नारी उत्थान एवं नारी शिक्षा को बढावा देने के लिए विश्वस्तरीय सेमीनार भी आयोजित किए जाते है। महिला महाविद्यालय की देखरेख फिलहाल उनके छोटे भाई सुशील कौशिक कर रहे हैं। यहां तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी भी आ चुके।
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