उसने बच्चों को इतना डराया कि कोई उसकी शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया था। जज ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि स्कूल में एक शिक्षक ही जब इस तरह के घृणित कृत्य करेगा तो लोग कैसे अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे। यह क्रूरतापूर्ण अपराध है। इसके लिए शिक्षक को कड़ी सजा सुनाई जाती है।
परिजन के साथ बैठक की तो फूटा बच्चों का दर्द
वरिष्ठ वकील गोकुलचंद सैनी ने बताया 7 दिसंबर 2019 को दोराासर (झुंझुनूं) में स्थित सैनिक स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग के दौरान उस वक्त हड़कंप मच गया, जब स्कूल के 12 बच्चों ने अंग्रेजी के शिक्षक रवींद्रसिंह शेखावत पर यौन शोषण के आरोप लगाए। बच्चों ने बताया था कि रवींद्रसिंह उनके साथ कई महीनों से यौन दुराचार कर रहा है। कमरे में बुलाकर गलत जगह टच करता है। कई बार कुकर्म भी किया। किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी देता था। मामला सामने आने के बाद स्कूल में एक समिति बनाई गई। समिति ने बच्चों की काउंसिलिंग की, लेकिन बच्चे कुछ भी नहीं बोल सके। इसके बाद स्कूल में कार्पलपनिशमेंट मॉनिटरिंग कमेटी (सीपीएमसी) की बैठक हुई। बैठक में पेरेंट्स भी शामिल होते रहे। बैठक में बच्चों ने अपनी आपबीती बताई। शिकायत सामने आने के बाद स्कूल के तत्कालीन प्रिंसिपल अभिलाष सिंह ने 8 दिसंबर 2019 को सदर थाने में मामला दर्ज करवाया था। पुलिस ने 10 दिसंबर 2019 को रवींद्रसिंह को गिरफ्तार कर लिया था और जांच के बाद पॉक्सो कोर्ट में चालान पेश किया था।
सरकारी वकील ओमप्रकाश सैनी ने बताया शिक्षक रवींद्रसिंह शेखावत (41) निवासी काली पहाड़ी (झुंझुनूं) के खिलाफ कोर्ट में 36 गवाह और 85 दस्तावेज पेश किए। इसके आधार पर कोर्ट ने शिक्षक को दोषी करार दिया और पॉक्सो एक्ट की धारा के साथ ही अलग-अलग धाराओं में 20 साल के कठोर कारावास और 81 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।