वल्र्ड एड्स डे मनाने का उद्देश्य एचआइवी संक्रमण की वजह से होने वाली महामारी एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। एड्स वर्तमान युग की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। एक रिपोर्ट के अनुसार 36 .9 मिलियन लोग इसके शिकार हो चुके हैं। जबकि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी के रोगियों की संख्या लगभग 2.1 मिलियन बताई जा रही है।
एचआइवी एक प्रकार के जानलेवा इंफेक्शन से होने वाली गंभीर बीमारी है। जिसे मेडिकल भाषा में ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस यानि एचआइवी के नाम से जाना जाता है। जबकि लोग इसे आम बोलचाल में एड्स यानि एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम के नाम से जानते हैं। इस रोग में जानलेवा इंफेक्शन व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) पर हमला करता है। जिसकी वजह से शरीर सामान्य बीमारियों से लडऩे में भी अक्षम होने लगता है। खास बात है कि ये बीमारी तीन चरणों (प्राथमिक चरण, चिकित्सा विलंबता होना और एड्स) में होती है।
ऐसे तो इस बीमारी की दवा दी जा रही है, लेकिन यह ज्यादा प्रभावी नहीं है।अभी तक यह लाइलाज है। बचाव ही इसका प्रमुख उपचार है। वर्ष मरीज मौत
2014 —8 20— 19
2015— 8 26 — 54
2016 — 96 0— 43
2017— 1049— 75
2018 1100 33
जिले में वर्ष 2014 से 2018 तक पांच वर्ष में कुल 224 रोगियों की एड्स के कारण मौत हो चुकी। यानि हर वर्ष औसत 44 व्यक्तियों की मौत हो रही है। हर माह तीन व्यक्ति एड्स से मर रहे हैं।
इनका कहना है…
रोगियों का समय-समय दवाएं लेता रहना चाहिए। रोगी की पहचान होते ही तुरंत इलाज शुरू कर दिया जाता है। सभी को चाहिए कि सावधानी बरतें।
डा. अनिल महलावत, नोडल प्रभार एआरटी सेंटर झुंझुनूं