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माता-पिता ने की ऐसी गलती की बच्चे हार गए जिंदगी की जंग

locationझुंझुनूPublished: Dec 01, 2019 01:27:23 pm

Submitted by:

Jitendra

गलती चाहे माता-पिता की रही हो या चिकित्सा से जुड़े कर्मचारियों की।उसकी सजा जिले के 76 मासूम बालक भुगत रहे हैं। युवा होने से पहले ही उनको खतरनाक रोग एड्स ने चपेट में ले लिया।दूसरों की लापरवाही ने इनकी बचपन की खुशियां छीन ली है।

माता-पिता ने की ऐसी गलती की बच्चे हार गए जिंदगी की जंग

माता-पिता ने की ऐसी गलती की बच्चे हार गए जिंदगी की जंग

जितेन्द्र योगी
झुंझुनूं. गलती चाहे माता-पिता की रही हो या चिकित्सा से जुड़े कर्मचारियों की।उसकी सजा जिले के 76 मासूम बालक भुगत रहे हैं। युवा होने से पहले ही उनको खतरनाक रोग एड्स ने चपेट में ले लिया।दूसरों की लापरवाही ने इनकी बचपन की खुशियां छीन ली है। एआरटी सेंटर झुंझुनूं के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो अब तक जिले में 76 बच्चों को यह बीमारी हो चुकी है। इनमें 46 बालक व 30 बालिकाएं शामिल हैं। इसी तरह एक ट्रांसजेंडर भी एचआइवी पॉजिटिव पाया गया है। एडस से अब तक मौत के महिला-पुरुषों के आंकड़ों को देखा जाए तो 164 पुरुष, 66 महिलाएं व नौ बच्चों की मौत हो चुकी है।
जिले में एड्स तेजी से पैर पसार रहा है। अगर सावधानी नहीं बरती गई तो इसकी गति और बढऩे की पूरी संभावना है। प्रदेश में मार्च 2019 तक 85 हजार 600 लोग एचआइवी पॉजिटिव पाए गए हैं। 2017-18 में ही प्रदेश में 7 हजार 370 नए रोगियों की पहचान हुई है। अब तक बड़ी संख्या में प्रदेश में एड्स जैसी जानलेवा बीमारी से मौत हो चुकी है और कई मौत के करीब पहुंच गए हैं। झुंझुनूं जिले की बात करें तो अब तक 224 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों रोगियों का इलाज चल रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि लोगों की नासमझी के कारण बच्चों में यह बीमारी फैल रही है।

वल्र्ड एड्स डे का उद्देश्य
वल्र्ड एड्स डे मनाने का उद्देश्य एचआइवी संक्रमण की वजह से होने वाली महामारी एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। एड्स वर्तमान युग की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। एक रिपोर्ट के अनुसार 36 .9 मिलियन लोग इसके शिकार हो चुके हैं। जबकि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी के रोगियों की संख्या लगभग 2.1 मिलियन बताई जा रही है।
क्या है एचआइवी एड्स
एचआइवी एक प्रकार के जानलेवा इंफेक्शन से होने वाली गंभीर बीमारी है। जिसे मेडिकल भाषा में ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस यानि एचआइवी के नाम से जाना जाता है। जबकि लोग इसे आम बोलचाल में एड्स यानि एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम के नाम से जानते हैं। इस रोग में जानलेवा इंफेक्शन व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) पर हमला करता है। जिसकी वजह से शरीर सामान्य बीमारियों से लडऩे में भी अक्षम होने लगता है। खास बात है कि ये बीमारी तीन चरणों (प्राथमिक चरण, चिकित्सा विलंबता होना और एड्स) में होती है।
बचाव की उपचार
ऐसे तो इस बीमारी की दवा दी जा रही है, लेकिन यह ज्यादा प्रभावी नहीं है।अभी तक यह लाइलाज है। बचाव ही इसका प्रमुख उपचार है।

वर्ष मरीज मौत
2014 —8 20— 19
2015— 8 26 — 54
2016 — 96 0— 43
2017— 1049— 75
2018 1100 33
पांच साल में 224 की मौत
जिले में वर्ष 2014 से 2018 तक पांच वर्ष में कुल 224 रोगियों की एड्स के कारण मौत हो चुकी। यानि हर वर्ष औसत 44 व्यक्तियों की मौत हो रही है। हर माह तीन व्यक्ति एड्स से मर रहे हैं।

इनका कहना है…
रोगियों का समय-समय दवाएं लेता रहना चाहिए। रोगी की पहचान होते ही तुरंत इलाज शुरू कर दिया जाता है। सभी को चाहिए कि सावधानी बरतें।
डा. अनिल महलावत, नोडल प्रभार एआरटी सेंटर झुंझुनूं
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