नए कलक्टर अग्रवाल सीकर जिले के रहने वाले हैं। बीकॉम, सीए व एलएलबी की डिग्री ले रखी है। अग्रवाल परसादी लाल मीणा के स्पेशल एसिस्टेंट रह चुके। उनको पहली बार कलक्टर की जिम्मेदारी दी गई है। वर्तमान में वे वाणिज्यकर (करापवंचन) विभाग में अतिरिक्त आयुक्त पद पर थे।
उपभोक्ता से चायपत्ती के पैकेट पर अंकित एमआरपी से 37 रुपए 25 पैसे अधिक लेना एक बडे स्टोर को महंगा साबित हुआ। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने इसे गंभीर सेवादोष व अनुचित व्यापार व्यवहार मानते हुए एमआरपी से अधिक लिए गए रुपए 8 फीसदी ब्याज सहित परिवादी को लौटाने व परिवाद व्यय के पेटे 1,500 रुपए व मानसिक संताप के पेटे 3,300 रुपए परिवादी को देने के आदेश दिए हैं।
ontractual Hiring : प्रदेश के अस्पतालों में कार्यरत डाटा एंट्री ऑपरेटर (दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों ) के लिए अच्छी खबर है। उन्हें अब संविदा नियमों के तहत कार्य पर रखा जाएगा। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के निदेशालय ने इस संबंध में सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों से जानकारी मांगी है।
Lohargal Dham : श्राद्ध पक्ष में पूजन व पितृ तर्पण का खास महत्व है। जिले के ऐतिहासिक स्थान लोहार्गल का अहम स्थान है। यहां भगवान परशुराम ने पितृ तर्पण किया था जबकि शस्त्र गलने के कारण पांडव यहीं पाप से मुक्त हुए थे।
Jhunjhunu Army recruiting office will go to Bikaner : भर्ती कार्यालय 1962 में भारत-चाइना के बीच हुई लड़ाई के वक्त से चल रहा है। उस वक्त इसकी जिम्मेदारी एक जेसीओ रैंक के आफिसर के पास थी। बाद में एक जून 1969 को इसे शाखा भर्ती कार्यालय (बीआरओ) के रूप में स्थापित कर इसकी कमान लेफ्टिनेंट कर्नल को संभलाई। वर्ष 2006 में इसे शाखा भर्ती कार्यालय से सेना भर्ती दफ्तर (एआरओ) बना दिया गया था।
सरकारी कॉलेज भवन के लोकार्पण समारोह में शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व विधायक राजेन्द्र सिंह गुढा के समर्थकों के बीच हाथापाई हो गई। दोनों पक्षों में हुई हाथपाई में कुछ युवकों के कपड़े तक फट गए।
जिले सहित पूरे राज्य के सरकारी स्कूलों में अब शिक्षकों व छात्र-छात्राओं को समय पर आना ही होगा। उनकी हाजिरी अब मोबाइल ऐप से दर्ज करनी होगी। इसमें समय और लोकेशन अपने आप आ जाएंगे।
जिले के हजारों परिवार ऐसे हैं जिनके ईडब्ल्यूएस के प्रमाण पत्र ही नहीं बन पा रहे। जमीन की कीमत कोलकाता, दिल्ली, मुम्बई में अलग है, झुंझुनूं में अलग है। लेकिन सभी जगह नियम समान कर दिया गया। जमीन की शर्त बहुत बड़ी बाधा है। इसे हटाया जाना चाहिए।
मिश्रा के अनुसार पौराणिक मान्यता हैं कि पितृ पक्ष के दौरान अपने पितरों को श्रद्धा से याद करने और विधिवत पूजन,तर्पण दान श्राद्धकर्म करने से वे प्रसन्न होते हैं । इससे व्यक्ति के जीवन की कई बाधाएं दूर होती हैं। आमतौर से ये तीन घटकों को आपस में जोड़ती है। पहला पिंडदान , दूसरा तर्पण और तीसरा भोजन । इसके साथ ही इस दौरान पवित्र भागवत कथा आदि कराना भी शुभ माना ग