अभय चौटाला ने कहा कि उनका कभी भी अजय सिंह के साथ कोई विवाद नहीं रहा है और आज भी नहीं है। अगर विवाद होता तो शायद बीस साल पहले के राजनीतिक घटनाक्रम के दौरान वह पंडाल में कार्यकर्ताओं के साथ बैठने की बजाए मंच पर बैठते। अभय ने कहा कि उन्होंने हमेशा से ही पर्दे के पीछे और मंच पर आकर अपने बड़े भाई को राजनीतिक शक्ति प्रदान करने का काम किया है। इसके उलट पिछले कुछ दिनों से उनके बड़े भाई द्वारा उन्हें कभी दुर्योधन कहा जा रहा है तो कभी उनके बच्चों द्वारा जयचंद कहा जा रहा है। अभय ने भरे मन से कहा कि हरियाणा या उत्तर प्रदेश में उम्रदराज लोगों द्वारा खुद की 17वीं करने की तो परंपरा है लेकिन मेरा बड़ा भाई ही 17 नवंबर को जींद में 17वीं करने की बात करता है तो यह बेहद पीड़ादायक है।
अभय चौटाला ने कहा कि जब चौधरी ओम प्रकाश चौटाला व अजय चौटाला जेल गए तो उन्होंने न केवल दुष्यंत व दिग्विजय को राजनीतिक रूप से मजबूत किया बल्कि परिवार को भी संभालने का प्रयास किया है। अभय चौटाला ने परोक्ष रूप से पूरे विवाद के लिए एक बार फिर से मीडिया को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि इस पूरे प्रकरण में वह यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर विवाद है क्या। अभय ने मीडिया को इस समझौते के लिए अधिकृत करते हुए कहा कि कोई भी अगर यह विवाद उन्हें बताए और अजय व उसके परिवार को समझौते के लिए मना ले तो वह आज भी बड़ी से बड़ी कुर्बानी देकर पार्टी को बचाने के लिए तैयार हैं।
बादल चंडीगढ़ में नहीं तो मिलेंगे किसको
पिछले दो दिन से अजय चौटाला व पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के बीच बैठक को लेकर चल रही खबरों पर विराम लगाते हुए अभय चौटाला ने कहा कि दीपवाली के दौरान दोनों परिवारों में आपसी मुलाकात की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। इस बार चौधरी ओम प्रकाश चौटाला के निर्देशों पर वह जब प्रकाश सिंह बादल को मिलने पहुंचे तो बादल ने उन्हें कहा था कि पार्टी को बचाने के लिए वह कुर्बानी देने से गुरेज न करें।
अभय ने बादल को सम्मान देते हुए कहा कि दोनों परिवारों में प्रकाश सिंह बादल सबसे बड़े हैं। अगर बादल कोई आदेश देेंगे तो उसे स्वीकार किया जाएगा। अजय के साथ बादल की मुलाकात पर उन्होंने कहा कि यह केवल ध्यान भटकाने के अफवाह फैलाई जा रही है। सच्चाई यह है कि बादल दो दिन से मुक्तसर में हैं जबकि अजय चंडीगढ़ के आसपास हैं। बादल जब चंडीगढ़ में नहीं हैं तो अजय किससे मुलाकात करेंगे।