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सीआईडी पर छिडे विवाद का समाधान केबिनेट बैठक में होने के आसार

locationजींदPublished: Jan 12, 2020 05:38:48 pm

Submitted by:

Devkumar Singodiya

मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के बीच सिर्फ सीआईडी पर अधिकार को लेकर ही नहीं बल्कि पुलिस अधिकारियों के तबादलों को लेकर भी विवाद रहा है।

चंडीगढ़. हरियाणा सरकार में सीआईडी को लेकर छिड़े विवाद का समाधान केबिनेट बैठक में किए जाने के आसार दिखाई दे रहे है। यह समाधान सीआईडी को पुन: मुख्यमंत्री के अधीन लाने के फैसले से किया जा सकता है।

प्रदेश में चौधरी देवीलाल और बंसीलाल की सरकार के समय अलग गृृहमंत्री बनाए जाने पर भी सीआईडी को मुख्यमंत्री के अधीन रखा गया था। कुछ अन्य राज्यों में भी सीआईडी एवं विजिलेंस मुख्यमंत्री के अधीन रहने के उदाहरण मौजूद है। बंसीलाल सरकार के बाद गृृह मंत्रालय लगातार मुख्यमंत्री के पास ही रहने से सीआईडी को लेकर कोई विवाद पैदा नहीं हुआ, लेकिन अब सीएम मनोहर लाल की दूसरी सरकार में गृहमंत्री अलग बनाए जाने पर यह विवाद पैदा हो गया।

गृहमंत्री अनिल विज ने लगातार यह दावा किया है कि कार्य बंटवारा नियम के अनुसार सीआईडी उन्हीं के पास रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री हालांकि सर्वोच्च है और वे केबिनेट की मंजूरी से विधानसभा में संशोधन पारित कर सीआईडी को अपने अधीन ले सकते है। हाल में सीआईडी के विवाद पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि यह तकनीकी मामला है और इसे सुलझा लिया जाएगा। मुख्यमंत्री के इस बयान से यही अर्थ लिया गया है कि केबिनेट बैठक में सीआईडी को मुख्यमंत्री के अधीन लेने के लिए नियम में संशोधन को मंजूरी ले सकते है।


वेबसाइट से नहीं चलती सरकार

हाल में सरकार की दो वेबसाइटों पर सीआईडी को मुख्यमंत्री के अधीन दिखाया गया था। इस पर अनिल विज ने कडी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि सरकार नियमों से चलती है। वेबसाइटों से सरकार नहीं चलती है। विज ने कहा था कि हरियाणा सरकार के कार्य विभाजन नियम 1974 के अनुसार सीआईडी गृृहमंत्री के अधीन है। विज के इस बयान के बाद सरकार की वेबसाइट से सीआईडी को मुख्यमंत्री के अधीन बताने वाला अंश हटा लिया गया था।

गृहमंत्री विज ने सीआईडी के कामकाज पर असंतोष जताते हुए इसमें सुधार के लिए अपने विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विजयवद्र्धन की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की एक कमेटी गठन भी किया है। मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के बीच सिर्फ सीआईडी पर अधिकार को लेकर ही नहीं बल्कि पुलिस अधिकारियों के तबादलों को लेकर भी विवाद रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा सहमति के बिना तबादले किए जाने पर गृहमंत्री ने विरोध व्यक्त किया था।

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