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देसी जुगाड़ से एक्सप्रेस ट्रेनों को रोककर करते थे लूटपाट,जींद रेलवे पुलिस ने गिरोह का किया पर्दाफाश

दो रुपये का सिक्का डालकर सिग्नल कर देते थे लाल…

जींदJun 11, 2019 / 10:22 pm

Prateek

देसी जुगाड़ से एक्सप्रेस ट्रेनों को रोककर करते थे लूटपाट,जींद रेलवे पुलिस ने गिरोह का किया पर्दाफाश

जींद: रेलवे पुलिस ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है, जो बेहद अजीब तरीके से ट्रेन में लूटपाट किया करता था। देसी जुगाड़ से ये लोग ट्रेन के सिग्नल को रेड कर दिया करते थे और ट्रेन के रुकते ही उसमें लूटपाट शुरू कर देते थे। लुटेरों ने जींद रेलवे लाइन पर धौलाधार एक्सप्रेस और अवध असम एक्सप्रेस के यात्रियों को इसी तरह निशाना बनाया।


रेलवे पुलिस ने जाटू रोड पानीपत निवासी संदीप,सांपला रोहतक निवासी रमन,माता दरवाजा रोहतक निवासी रमन,बालकनाथ कालोनी रोहतक निवासी भारत को काबू किया है। गिरोह का मुख्य सरगना गांव बड़ौदी निवासी मौजी,रोहतक निवासी विक्की व उसके दो साथी पुलिस को चकमा देकर फरार हो गए।


पकड़े गए आरोपी संदीप ने खुलासा किया कि 7 मई को उसने मौजू, विक्की व तीन-चार अन्य के साथ मिलकर दिल्ली से पठानकोट जा रही धौलाधार एक्सप्रेस के स्लीपर व एसी डिब्बे में दो यात्रियों से चाकू के नोक पर नकदी व जेवरात लूटे थे। जबकि पकड़े गए आरोपित विवेक,रमन, भारत उनके साथ पहली वारदात को अंजाम देने के लिए आए थे।


रविवार को लुटेरे पंजाब की तरफ जा रही अवध असम एक्सप्रेस में सवार हो गए, लेकिन उनके इरादों की रेलवे पुलिस को पहले ही भनक लग गई। रेलवे पुलिस कर्मी सादे कपड़ों में ट्रेन में सवार हो गए। जब ट्रेन जींद रेलवे जंक्शन से निकलकर बरसोला रेलवे स्टेशन के निकट पहुंची तो आरोपितों ने खेतों में चेन पुलिग कर दी और ट्रेन को रोक दिया। इसी दौरान आरोपी यात्रियों से चाकू की नोक पर लूटपाट करने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन इसी दौरान ट्रेन में सवार पुलिस कर्मी सक्रिय हो गए और यह धर-पकड़ हुई।

 

 

सिक्का डालकर सिग्नल को करते थे रेड

पकड़े गए आरोपी संदीप ने खुलासा किया कि सात मई को गिरोह के सदस्यों ने पंजाब की तरफ जा रही धौलाधार एक्सप्रेस में यात्रियों से लूटपाट की थी। गिरोह का एक सदस्य जींद जंक्शन व बरसोला रेलवे स्टेशन के बीच में सुनसान जगह पर स्थित सिग्नल के पास चला गया। वहां उसने ग्रीन सिग्नल को रेड करने के लिए पटरियों के बीच में सिक्का डाल दिया। पुलिस के अनुसार बदमाशों ने ट्रेन रोकने के लिए भौतिक-विज्ञान की साधारण तकनीक का इस्तेमाल किया। पटरियों के बीच जोड़ होता है, सर्किट को बंद करने को इसमें इंसुलेटिंग मटेरियल (रोधक पदार्थ) भरा जाता है। ये लोग इस जोड़ में एक या दो रुपए का सिक्का डाल देते थे। ऐसा होने से पटरियों को अर्थ नहीं मिलता और सिग्नल हरे के बजाय लाल हो जाता था।

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