वर्ष 2016 में सैंकड़ों नियमित जेबीटी शिक्षकों ने अधिवक्ता जगबीर मलिक के माध्यम से याचिकाएं दायर करके स्थानान्तरण नीति-2015 में गेस्ट टीचर्स के पदों को रिक्त न मानने के विभागीय फैसले को हाईकोर्ट में चुनोती दी थी। जिस पर हाईकोर्ट की एकल बेंच ने फैसला याचिकाकर्ता नियमित शिक्षक के हक में सुनाया था और 3 महीने में फैसले का पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया था। विभाग ने हाईकोर्ट की एकल बेंच के इस 10 नवम्बर 2017 को दिए गये फैसले के खिलाफ खण्डपीठ में अपील दाखिल की थी और एकल बेंच के फैसले पर रोक लगाने व रदद् करने की मांग की थी।
गुरूवार को विभाग द्वारा खण्डपीठ में दायर अपील की सुनवाई में प्रतिवादी आनंद कुमार की ओर से पेश अधिवक्ता जगबीर मलिक ने सरकार की अपील का कड़ा विरोध किया और बहस करते हुए अपील को खारिज करने योग्य बताया। बहस सुनने के बाद हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश एंव जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने सरकार और विभाग की अपील को विचारयोग्य न मानते हुए खारिज कर दिया। इस मामले में विभाग की अपील खारिज होने से अब हजारों नियमित शिक्षकों को तबादलों में अपने मनपसन्द जिलों व स्कूलों में तबादला करवाने का अवसर मिलेगा। हालाँकि हाईकोर्ट के निरन्तर कड़े रुख के चलते सरकार द्वारा अंतर-जिला स्थानांतरण के बनाई गई नई कैडर चेंज पॉलिसी-2018 में गेस्ट टीचर्स के पदों को पहले से ही रिक्त मानने का प्रावधान कर दिया गया है और 5 सितम्बर को इस नई पॉलिसी को केबिनेट मीटिंग में हरी झंडी दिखा दी गई है।