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भारतीय युवा उद्यमियों के लिए फायदे का सौदा होगा तेजी से बढ़ता आयुष उद्योग

Published: Dec 05, 2017 06:47:30 pm

अायुष उद्योग देश में 2020 तक प्रत्यक्ष रूप से 10 लाख तथा परोक्ष रूप से 2.5 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराएगा

ayush recruitment 2017
अायुष उद्योग देश में दुगनी गति से बढ़ते हुए उद्योगाें की श्रेणी में आ गया है। यह क्षेत्र 2020 तक प्रत्यक्ष रूप से 10 लाख तथा परोक्ष रूप से 2.5 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराएगा। स्वास्थय पर आयोजित आरोग्य-2017 सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने सोमवार को यह जानकारी दी।
500 करोड़ रुपये का घरेलू बाजार

प्रभु ने कहा कि आयुष का घरेलू बाजार 500 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। वहीं निर्यात करीब 200 करोड़ रुपये का है। स्टार्टअप की योजना बना रहे भारतीय युवा उद्यमियों को इसमें काफी मौके मिल सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी बेहतर व्यवस्था तैयार करने के लिए सभी देशों के साथ काम करने में खुशी होगी जिसमें पंरपरागत चिकित्सा की जानकारी लोगों तक दी जा सके। इससे सभी के लिए फायदेमंद स्थिति तैयार की जा सकती है।
देश में 6,600 औषीधीय संयंत्र
उन्होंने कहा कि सरकार ने आयुष में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी है और क्षेत्र में व्यापक संभावना के उपयोग के लिए संबंधित पक्षों के संसाधनों को लेकर एक मंच पर आने की जरूरत को रेखांकित किया। प्रभु ने कहा, ‘देश में 6,600 औषीधीय संयंत्र हैं और इसके साथ भारत आयुष तथा हर्बल उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। हमारे पास आयुष बुनियादी ढांचे को भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली से एकीकृत करने का एक अवसर है।’
आयुष क्षेत्र का आकार तीन गुना
आयुष मंत्रालय में सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा कि मंत्रालय अगले पांच साल में आयुष क्षेत्र का आकार तीन गुना बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध है। बता दें कि आयुष चिकित्सा और स्वास्थ्य देखभाल की एक परंपरागत प्रणाली है जिसमें आयुर्वेद योग ?? तथा प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध तथा होम्योपैथी शामिल हैं।
भारत दूसरे नंबर पर
प्रभु ने कहा कि अभी हर्बल दवा के निर्यात में भारत दूसरे नंबर है। लेकिन हमारे देश में इसकी अपार संभावनाएं हैं। आयुष दवाएं बनाने वाली साढ़े छह हजार इकाइयां हैं जो तेजी से बढ़ रही हैं।
नए रोजगार पैदा होंगे
प्रभु ने कहा कि आज आयुष दवाओं का बाजार 500 करोड़ का है जबकि निर्यात 200 करोड़ करोड़ रुपये का है। हमारे पास परंपरागत चिकित्सा ज्ञान की कमी नहीं है। उसे नई कसौटी में परखकर बाजार में लाने के नए उद्यमियों के लिए मौके हैं। इससे नए रोजगार पैदा होंगे।

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