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जोधपुर

Rajasthan Dam: किसी भी वक्त छलक सकता है राजस्थान का यह बांध, इतने फीट आ चुका है पानी

Jaswant Sagar Dam: अरावली पहाड़ एवं सहायक नाग पहाड़ से चल रहे पानी से आनासागर के ओवरफ्लो होने, फायसागर सागर पर निरंतर चल रही चादर के साथ-साथ गोविंदगढ़, आलनियावास, गिरी नंदा बांध का पानी जसवंत सागर तक पहुंच रहा है।

जोधपुरSep 10, 2024 / 11:10 am

Rakesh Mishra

Jaswant Sagar Dam
Jaswant Sagar Dam: अजमेर, ब्यावर और निकटवर्ती नागौर जिले के सभी बांधों एनीकट एवं तालाबों के टूट जाने और ओवरफ्लो हो जाने से निकली जलराशि अनवरत रूप से जसवंत सागर में पहुंच रही है। बांध में सोमवार शाम होने तक 23 फीट पानी की आवक हो चुकी है और अगले चौबीस घंटे तक बांध पर चादर चलने की संभावना है। इधर, चोपड़ा फीडर से गंवई राजोलाव तालाब भी लबालब भर जाने से तालाब के निकट की इमारतों को खतरा उत्पन्न होने पर उपखंड अधिकारी ने गांव के लोगों के साथ बैठक कर तालाब में आ रहे पानी की मोहरी की मात्रा कुछ कम करने पर सहमति बनाई है।

आनासागर ओवरफ्लो

अरावली पहाड़ एवं सहायक नाग पहाड़ से चल रहे पानी से आनासागर के ओवरफ्लो होने, फायसागर सागर पर निरंतर चल रही चादर के साथ-साथ गोविंदगढ़, आलनियावास, गिरी नंदा बांध का पानी जोधपुर के जसवंत सागर तक पहुंच रहा है। पिछले एक सप्ताह से झाक एवं कालाउना की नदियों का वेग हर दिन से बढ़ते रहने से बांध की बारह कोस लंबाई और बारह कोस की चौड़ाई की परिधि में भराव हो रहा है। यही कारण है कि सैकड़ों हेक्टेयर के भू भाग में भराव होने से पानी चादर चलने वाली मोहरी तक पहुंच गया है।

अधिकारियों ने की बैठक

रायपुर बांध की चादर एवं आसपास के छोटे बड़े तालाबों के ओवरफ्लो का पानी निरंतर चोपड़ा फीडर में बह रहा है। फीडर की लिंक नहर से कस्बे का राजोलाव तालाब लबालब भर जाने और इस पर चादर चलने वाली मोहरी नहीं होने से अब पानी आसपास के क्षेत्र में निकलने लगा है। कई सरकारी एवं गैर सरकारी भवनों को भी इससे क्षति होने की आशंका को लेकर उपखंड अधिकारी मृदुला शेखावत, तहसीलदार आकांक्षा गोदारा ने नगर पालिका सभागार में पालिका अध्यक्ष रूपसिंह परिहार, उपाध्यक्ष लक्ष्मण पटेल, भोलाराम पालावत, तरुण मुलेवा, बाबूलाल राठौड़, गिरधारी परिहार, बेनाराम पटेल, महेंद्र सिंह राठौड़, मेजर शैतान सिंह, फुआराम राठौड़, माध्व प्रकाश गोपालसिंह हाम्बड़ एवं दर्जनों गणमान्य लोगों की मौजूदगी में बैठक ली।
सभी ने प्रशासनिक अधिकारियों से आग्रह किया कि तालाब के लबालब भर जाने पर इस पर चादर चला करती थी कालांतर में मेगा हाईवे बनने के दौरान चादर चलने की मोहरी को ध्वस्त कर दिया गया। इस स्थान पर फिर मोहरी बनाकर पानी की निकासी की व्यवस्था करवाई जाए। इस पर अधिकारियों ने कहा कि यह कार्य तत्काल होने की स्थिति में नहीं है और भवनों को बचाने के लिए लिंक नहर की मोहरी से पानी की आवक को कम करना ही तात्कालिक उपचार है। जब तालाब का पानी कम हो जाएगा तब इस मोहरी को फिर से खोल दिया जाएगा, जिससे क्षेत्र के कुओं का जलस्तर बढ़ता रहेगा।

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