जोधपुर

सरकारी स्कूलों के 39 हजार विद्यार्थियों का स्वास्थ्य दाव पर, नहीं होती जांच

सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों को मिड डे
मील तो खिलाया जा रहा है, लेकिन खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता जांच का कोई इंतजाम
नहीं है।

जोधपुरSep 02, 2015 / 02:18 am

कमल राजपूत

Jodhpur news

जोधपुर। सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों को मिड डे मील तो खिलाया जा रहा है, लेकिन खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता जांच का कोई इंतजाम नहीं है। इस बात को स्वयं शिक्षा विभाग स्वीकार कर रहा है। जबकि जोधपुर शहर, लूनी और मंडोर तहसील में 39 हजार बच्चों को स्कूल दिवस पर प्रतिदिन मिड डे मील खिलाया जाता है।

जोधपुर में दो सेंट्रल किचन हैं। उम्मेद क्लब रोड स्थित अदम्य चेतना संस्थान शहर व लूनी की 272 स्कूलों को खाना भेजता है। रोजाना औसतन 22 हजार बच्चे रोज इस मिड डे मील का सेवन करते हंै। दूसरी ओर मंडोर स्थित अक्षय पात्र मंडोर व शहर की 150 स्कूलों के करीब 9 हजार बच्चों को भोजन करवाता है। बच्चों तक पहुंचने वाले खाद्यान्नों की गुणवत्ता के लिए महज भौतिक निरीक्षण ही किया जाता है। जिसमें खाना सूंघकर, देख और परख कर भेज दिया जाता है। प्रयोगशाला स्तर पर इनकी जांच नहीं करवाई जाती।

इनकी हो जांच
दोनों ही संस्थान विद्यार्थियों को सब्जी-रोटी, ढोकली, मीठे चावल, बिस्किट व फल प्रत्येक दिन के चार्ट अनुसार भेजते हैं। अदम्य चेतना संस्थान परचून की खरीदारी बैंगलुरू से करता है, लेकिन घी यहां से खरीदता है। अक्षय पात्र स्थानीय वेंडर से मिर्च-मसाले खरीदता है। यह खरीदारी भी 15-20 दुकानों से भाव लेकर की जाती है। सबसे कम दर वाली जगह से खरीदारी होती है। अक्षय पात्र के जिम्मेदारों का हवाला है कि प्रत्येक तीन माह से जांच करवाते हैं, लेकिन जांच रिपोर्ट उनके पास नहीं आती। जबकि अदम्य चेतना संस्थान का कहना है कि वे कुछ महीनों में जोधपुर में अपनी लैब स्थापित करेंगे।

लाखों का होता है भुगतान
इन स्कूलों में मिड डे मील सप्लाई करने के लिए एक संस्थान को प्रतिमाह करीब 10 से 11 लाख और दूसरे को 15 से 20 लाख का भुगतान किया जाता है। प्राइमरी कक्षाओं तक में 3.76 रूपए और 6 से 8वीं कक्षा तक प्रत्येक बच्चे पर 5.64 रूपए के हिसाब से भुगतान होता है।

यह है मात्रा
दोनों संस्थान कक्षा 1 से 5 के विद्यार्थियों को 100 ग्राम वजन में खाना देती हैं। जिसमें 450 कैलोरी, 12 ग्राम प्रोटीन दिया जाता है। जबकि कक्षा 6 से 8 के विद्यार्थियों को 150 ग्राम खाद्यान्न 700 कैलोरी व 20 ग्राम प्रोटीन भोजन में देना आवश्यक होता है।

इनका कहना है

मैं इस मुद्दे को जिला प्रशासन की मीटिंग में रखूंगा। वास्तव में जांच होनी चाहिए।
– प्रभुलाल पंवार, डीईओ प्रथम, प्रारंभिक शिक्षा

हम अपने सैंपल की हर तीन माह में जांच करवाते हैं। सैंपल जयपुर से अहमदाबाद जाते हैं। जांच की रिपोर्ट हमारे पास नहीं है।
– चंद्रसिंह, प्रभारी, अक्षय पात्र

हम अपना मसाला बैंगलुरू से मंगवाते हैं। घी यहां से खरीदते हैं। जल्द ही हम यहां अपनी लैब स्थापित कर देंगे।
– सुरेश रई, प्रोजेक्ट हेड, अदम्य चेतना संस्थान

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