निजी स्कूलों की फूली सांसें निजी अंग्रेजी माध्यमिक स्कूलों के लिए पांचवीं बोर्ड अनिवार्य करने के बाद स्कूल संचालकों की नींद उड़ गई हैं। बड़ी बात यह है कि सरकारी व निजी स्कूलों का पांचवीं कक्षा का पाठ्यक्रम अलग-अलग है। निजी स्कूल अपनी मर्जी से पाठ्यक्रम चलाते आ रहे है। इसमें कमीशन का खेल चलने की भी शिकायतें आती रहती हैं।
पहले रही असमंजस की स्थिति
दो-तीन साल पहले आठवीं बोर्ड मान्यता प्राप्त निजी अंग्रेजी स्कूलों में अनिवार्य करने से कई स्कूल संचालकों के हाथ-पांव फूल गए थे। उस दौरान भी पत्रिका ने विद्यार्थियों और अभिभावकों की आवाज उठाई थी। उस समय निजी अंग्रेजी स्कूलों के लिए अनिवार्यता समाप्त की गई थी।
परीक्षा आरटीई एक्ट के विरुद्ध शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) कहता है कि कोई भी समान मूल्यांकन परीक्षा नहीं ली जाएगी, जब तक विद्यार्थी प्रारंभिक शिक्षा की पढ़ाई पूरी नहीं करते। एक्ट के अनुसार स्कूल स्तर पर सतत मूल्यांकन होना चाहिए। इसके बाद संस्था प्रधान सर्टिफिकेट जारी करता है। यह परीक्षा एक्ट के विरुद्ध है। हमारी संस्था ने सरकार को न्याय की गुहार के लिए कानूनी नोटिस भी प्रेषित किया है।
शैलेषनाथ सिंह, अध्यक्ष, स्कूल एजुकेशन वेलफेयर एसोसिएशन, सेवा संस्थान