अब तक सिर्फ सिंचाई में उपयोग
जल संसाधन विभाग का सारोठ जलाशय की क्षमता 5.55 एमसीएम पानी है जिसका शत प्रतिशत उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। दो फीट हाइट बढ़ाकर 1.35 एमसीएम अतिरिक्त पानी का उपयोग गांवों में पेयजल आपूर्ति के लिए किया जाना है। प्रोजेक्ट कम्पलीट करने वाली कम्पनी ने सारोठ जलाशय में पानी लिफ्ट कराने तथा वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कर लिया है जिससे टेस्टिंग की जा रही है। इसके लिए जल निगम ने जलाशय में एक सिंचाई का पानी जलसंसाधन विभाग से रुकवा लिया है।
बनाया गए ट्रीटमेंट प्लांट और टंकियां
रूरल गु्रप वॉटर सप्लाई योजना के तहत जल निगम ने ट्रीटमेंट प्लांट के साथ ही आसपास के गांवों में तीस पानी टंकियां और तीस गांवों में पाइप लाइन बिछाने का कार्य किया है। लेकिन अब सवाल यह उठ रहे हैं कि जब जलाशय की ऊंचाई ही नहीं बढ़ाई गई तो इन तीस गांवों में पेयजल आपूर्ति आगे कैसे बनाई जाएगी। यदि वर्तमान स्थिति में जलाशय का पानी इन गांवों में पेयजल के लिए उपयोग होगा तो आसपास के गांवों की सिंचाई व्यवस्था प्रभावित होगी।
सारोठ जलाशय की ऊंचाई दो फीट बढ़ाने की प्रशासनिक स्वीकृति अभी नहीं मिल पाई है। दो फीट ऊंचाई बढऩे से डैम में 1.35 एमसीएम पानी बढ़ जाएगा जो पेयजल आपूर्ति में उपयोग किया जाएगा। अभी सारोठ जलाशय के 5.55 एमसीएम पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है। जल निगम के कहने पर इस बार सिंचाई का एक पानी रोक दिया गया है।
एसके ठाकुर, सब इंजीनियर, सारोठ जलाशय, जलसंसाधन विभाग