जोधपुर

जोधपुर एम्स में एक दिन में 102 लोगों ने की देहदान की घोषणा

– पुराने रीति रिवाज से परे जाकर 102 जनों ने कमाया देहदान का पुण्य- एम्स में जोधपुर जिले के 20 देहदानियों के परिवारों को किया सम्मानित

जोधपुरMay 06, 2018 / 08:16 pm

Devendra Bhati

बासनी (जोधपुर). एक देह से अगर 20 से 25 जिंदगियों को बचाया जा सकता है तो धरती पर इससे बड़ा दानपुण्य और क्या हो सकता है जिसमें कईयों को मृत शरीर से नवजीवन मिलता हो। इन प्रगतिवादी 102 विभूतियों ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में दानपुण्य कमाया। इसके साथ ही धार्मिक कर्मकांड और पुराने रीति रिवाजों से निकली भ्रांतियों को भी तोड़ा। उनके लिए विशेष तौर पर आयोजित सम्मान समारोह में उम्र के अंतिम पड़ाव में देहदान के लिए जज्बा देखते ही बन रहा था।

इस मौके पर आयोजित सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र टाटिया ने बताया कि एक देहदान ही मनुष्य धर्म है जो विज्ञान के काम को आगे बढा रहा है। यदि किसी को इस पर भ्रम है तो वहां खुली बहस होनी चाहिए। हमारे पुराणों में अंगदान कर देवत्व प्राप्त करने के उदाहरण मिलते हैं।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति पीके लोहरा ने कहा कि देहदान की परंपरा को आगे बढाए बिना समाज को अच्छे चिकित्सक नहीं मिल सकते। एम्स निदेशक डॉ. संजीव मिश्रा ने समारोह में आए अतिथियों व देहदान करने वाले व्यक्तियों के परिवारों का स्वागत किया। शरीर रचना विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुरजीत घटक ने कहा कि आज का दिन उन लोगों को याद करने का है जिन्होंने अपनी मृत्यु के बाद अपनी देह मानव कल्याण के लिए समर्पित की। उन्होंने देहदान की प्रक्रिया भी बताई।
 

एम्स में 24 देहदान जोधपुर जिले से

समारोह में देहदान की शपथ लेने वाले अधिकतर जैन समाज से हैं लेकिन जोधपुर में पहली बार एक सिख और मुस्लिम परिवार के लोग भी देहदान की शपथ लेकर इस पुण्य कार्य में शामिल हुए हैं। 84 में से जोधपुर के 24 देहदानी हैं इसमें से कार्यक्रम में उपस्थित 20 देहदानियों के परिवारों को सम्मान दिया गया। इन 24 में से 12 देहदान में सहयोग करने पर कार्यक्रम संयोजक मनोज मेहता को न्यायाधिपति टाटिया ने अभिनंदन पत्र देकर सम्मानित किया।
 

एम्स की नींव का पत्थर लगाया, अब करेंगे देहदान

पेशे से त्रिलोक सिंह सालूजा जोधपुर के पहले ऐसे सिख हैं जिन्होंने देहदान की घोषणा की है। उनके साथ उनके पोते जसमीत सिंह ने बताया कि जब वर्ष 2004 में एम्स जोधपुर की नींव रखी थी तब इन्होंने तत्कालीन जोधपुर सांसद और केंद्र में मंत्री जसवंत सिंह जसोल के बुलावे पर उनके साथ शिलान्यास किया था।
उस समय सालूजा ने घोषणा की थी कि एम्स जोधपुर बनकर तैयार होगा तब वे यहां मेडिकल के छात्रों के अध्ययन और शोध के लिए देहदान करेंगे। सालूजा पहले सोजती गेट स्थित सिंह सभा सोजती गेट गुरूद्वारे के सचिव भी रह चुके हैं।
 

मुस्लिम दंपति भी देहदान के लिए आगे आए

इसी तरह जोधपुर एम्स में पहली बार मुस्लिम परिवार के पति-पत्नी ने देहदान की घोषणा की। उन्हें समारोह में सम्मानित किया गया। मूल रूप से बिहार के निवासी हाल शोभावतों की ढाणी निवासी हयात मोहम्मद अंसारी ने बताया कि वे 50 साल पहले जोधपुर आए थे, उन्होंने यहां रेमिंगटन कंपनी के टाइपराइटर में सर्विस इंजीनियर के पद पर काम किया। तब से वे यहीं के होकर रह गए। उन्होंने दूसरों से स्वयं ही प्रेरणा लेकर देहदान की घोषणा की।
 

शादी की 55 वीं सालगिरह पर की देहदान की घोषणा

इसी तरह डी-शंकर नगर निवासी देवराज सिंघवी और उनकी धर्मपत्नी कमला सिंघवी ने अपनी शादी की 55 वीं सालगिरह पर 6 साल पहले सपत्नीक देहदान की घोषणा की। कमला सिंघवी व्हीलचेयर पर सम्मान लेने आई। उनके साथ उनके परिवार के लोग भी शामिल थे। उन्होंने बताया कि वे स्वैच्छिक देहदान को लेकर काफी लालायित दिखे। बुजुर्ग इंद्रा मेहता सीढियों पर न चढ पाने की स्थिति में उन्हें उनकी सीट पर जाकर सम्मान दिया गया।
 

इनके परिवार को किया सम्मानित

सम्मान पत्र पाने वालों में जोधपुर के दिवंगत अमृतराम बागरेचा, कमल किशोर राठी, बसंती शाह, सोहनलाल सोनी, मिलापचंद मेहता, जयनारायण कंसारा, लखपत जैन, देवदत्त राठी, गवरा देवी सिंघवी, सुमित्रा देवी, भंवरी सिंह पंवार, महावीद चंद्र मेहता, पुष्पा मेहता, छगनराज सुराणा, सरोज मेड़तिया, ललिता सुराणा, जवाहर सुराणा, बुधमल जैन और गंभीर चंद भंडारी के परिवार शामिल थे। कार्यक्रम के अंत में वाइस प्रिंसीपल डॉ. शिल्पी दीक्षित ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन डॉ. रेणू ने किया।

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