संवत् 1859 में महाराजा मानसिंह ने दिवाली ख्वाबगाह के झरोखे में जनाना के साथ बैठकर मनाई एवं आतिशबाजी का आनन्द लिया। इसके बारे में हमें स्पष्ट जानकारी हकीकत बही से प्राप्त होती है। काती वद 15 संवत् 1859 मु. गढ़ जोधपुर रात घड़ी सातेक आया श्रीजी साहब जाबता नै जनाना सहेत ख्वाबगाह रै झरोखे में पधार विराजिया नै नीचै सिणगार चौकी में आतसबाजी छुड़ाई सु घड़ेक छुटी।
दिवाली दरबार बिचला महल में
मिती काती वद 14 गुर संवत् 1895 मु. गढ़ जोधपुर। दीपमालका रौ दरबार दिन घड़ी अढ़ाई लार लारा बिचला म्हैल (महल) मै कनात रै ओले हुवौ सौ श्री निज सेवा ने श्रीजी रा मंदरा (मंदिर) रा दुपटा सैलीया तो श्री सदा जी कनात रै माह जाय श्रीजी साहबा रै बंदाया नै तिलक रा पाला दरजी मालै महल जाय निजर गुदराया नै मुतसदी खवास पासवान वगैर कित राक सारा नै मुजरो हुवो निजर निछरावल कीवी नै तिलक कितरा करै तो बिचला महल नै नैवा कीरा सारा रै दौलतखाना रा चौक मै हुवौ सैदांना सदामंद मुजब हुवा नै तायफ ा सदामंद माफ क हाजर था सु सूरजपोल हठै गाया दीपमालकारी रूसनाई री जलुस अवल हुई सोर रात रा सिणगांर चौकी कनै छूटो।
मिती काती वद 14 गुर संवत् 1895 मु. गढ़ जोधपुर। दीपमालका रौ दरबार दिन घड़ी अढ़ाई लार लारा बिचला म्हैल (महल) मै कनात रै ओले हुवौ सौ श्री निज सेवा ने श्रीजी रा मंदरा (मंदिर) रा दुपटा सैलीया तो श्री सदा जी कनात रै माह जाय श्रीजी साहबा रै बंदाया नै तिलक रा पाला दरजी मालै महल जाय निजर गुदराया नै मुतसदी खवास पासवान वगैर कित राक सारा नै मुजरो हुवो निजर निछरावल कीवी नै तिलक कितरा करै तो बिचला महल नै नैवा कीरा सारा रै दौलतखाना रा चौक मै हुवौ सैदांना सदामंद मुजब हुवा नै तायफ ा सदामंद माफ क हाजर था सु सूरजपोल हठै गाया दीपमालकारी रूसनाई री जलुस अवल हुई सोर रात रा सिणगांर चौकी कनै छूटो।
संदर्भ
1. हकीकत बही नम्बर 9,11, 12 वि.सं. 1881-89
1. हकीकत बही नम्बर 9,11, 12 वि.सं. 1881-89