– प्रिया सांखला, साइबर विशेषज्ञ, दिल्ली
अपराधियों के साथ कैसी मानवता? मानवाधिकार आयोग आए दिन अपराधियों की पैरवी करता है। लगता है मानवाधिकार संरक्षण आयोग अब अपराधी संरक्षण आयोग बन कर रह गया है। अपराधियों के साथ मानवता क्यों बरती जाए? अपराधियों में जेल जाने एवं गिरफ्तारी का कोई डर नही है। जेल जाने के बाद भी इनके अपराध खत्म नहीं होते। अपराधियों में कानून का भय होना चाहिए।
-भोमराज सारस्वत, रिटायर्ड उप निरीक्षक, पुलिस
अपराधी को हीरो न बनाएं कमिश्नरेट प्रणाली में जाब्ते की कमी से पेट्रोलिंग लॉ एंड ऑर्डर और विजिलेंस का काम नहीं हो पा रहा है। स्टाफ की कमी को पूरा करना चाहिए। अपराध की बिजिलेंस कमजोर है। वृताधिकारी व थानाधिकारी अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं। पुलिस विभाग की सीएलजी समिति सही नहीं है, अप्रभावशील है। मानवाधिकार का संरक्षण अपराधियों को ज्यादा मिलता है।
-घेवरचन्द सारस्वत, रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर
जांच कर चिह्नित करें पुलिस विभाग के साथ जनता की भागीदारी की दृष्टि से सीएलजी बैठक अनिवार्य कर उसमें लिए गए निर्णयों पर क्रियान्वयन हो। आपराधिक गतिविधियों, समाज विरोधी व राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त लोगों की प्रारंभिक स्तर पर जांच कर इन्हें चिह्नित किया जाए।
-कमल जोशी, नेता, ब्राह्मण समाज
अभिभावक युवाओं पर नजर रखें युवाओं में नशे की लत व हाई लाइफ जीने की चाह उन्हें गलत दिशा की ओर ले जाती है। इस पर काबू पाना जरूरी है। साथ ही अभिभावक भी उनकी गतिविधियों पर ध्यान रखें।
-सम्पत सिंह भाटी, सह संयोजक बजरंग दल
चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे होने चाहिएपुलिस थाना क्षेत्र में मुख्य सड़क और विभिन्न चौराहों पर सीसीटीवी कैमरे होने चाहिए। पुलिस की चैकिंग सख्त हो जाए तो अपराधी अपराध करने से डरेंगे। -लक्ष्मण सिंह सोलंकी, जिला सचिव युवा कंाग्रेस
-देवीसिंह उदावत, एडवोकेट
हेलमेट की आड़ में हो रहे अपराध पुलिस हेलमेट ना पहनने वालों पर लपक कर कार्रवाई करती है। बडे़-बडे़ अपराधी इसी हेलमेट की आड़ में अपराध कर निकल जाते हैं। बहुत से अपराध जेल के अंदर होते है, जो मोबाइल से किए जाते हैं। इस पर कोई रोक-टोक नहीं है।
-दिव्या शर्मा, एडवोकेट
जेल में अपराधियों के जैमर चालूजेल में लगे जैमर से अपराधियों को कोई तकलीफ नहीं होती। उनके अपराध जारी रहते हैं। दूसरी ओर जेल के पास स्थित सरकारी कार्यालयों और आमजन को दिक्कत आती है। उनका फोन नहीं लगता, जबकि जेल में मोबाइल चालू है।
भारतीय किसान संघ जैविक प्रमुख
तालमेल की कमीजोधपुर अपणायत का शहर है, यहां इस तरह की घटनाएं कभी नहीं हुर्इं। बड़ी बात यह है कि पुलिस व आमजनता के बीच सामंजस्य नहीं रहा है।
पुलिस व व्यपारियों की मीटिंग होव्यापारी संघ व पुलिस के बीच होने वाली मीटिंग पिछले काफी समय से नही हो रही है। व्यापारी संघ व जन प्रतिनिधियों के साथ हर माह मीटिंग कर फीडबैक लेकर हमारी और उनकी समस्या का समाधान हो सकता है।
-नवीन सोनी
-प्रवीणदयाल दवे, एडवोकेट
नशे की प्रवृत्ति पर रोक लगाएं समाज पुलिस प्रशासन में व्यापक सुधार की जरूरत है। पुलिस थानों में जो बंदी लेने की बातें सामने आती हैं, इस तरह की बातों में सुधार होना चाहिए। भ्रष्ट अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए। कई बार पुलिस आम आदमी को झूठे मुकदमों में फंसा कर उनकी आबाज दबा देती है, जबकि पुलिस को आमजन को संरक्षण देना चाहिए, जिससे अपराधियों में भय बढ़े। सभी समाज नशे की प्रवृत्ति पर भी रोक लगाए, जिससे अपराधों में कमी आएगी।
-हनुमान सिंह खांगटा
राजकुमार आसुदानी, मोहन भोजवानी, हाजी हमीम बख्श, गुरमीत सिंह, मनमोहन सिंह वालेचा, महेन्द्रसिंह गहलोत, यशवंत सिंह, डीएस गौड़, इकबाल खान, प्रमोदकुमार माचरा, हरदीपसिंह सलूजा, नरेन्द्र राखेचा, रामकिशोर विश्नोई,दीपक सोनी, निर्मल सोलंकी, नदीम बख्श, अशोक सोलंकी व इश्तियाक अली ने भी राजस्थान पत्रिका की ओर से आयोजित टॉक शो में अपने विचार रखे।