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उपखंड अधिकारी ने 24 नए उपभोक्ता जोड़े, निलंबित मीणा ने 1 माह में ही 33 हजार परिवार बढऩा बताकर यूं कर डाला घोटााला, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

locationजोधपुरPublished: Jul 19, 2018 11:45:02 am

Submitted by:

Harshwardhan bhati

33 हजार परिवार के लिए चाहिए 8250 क्विंटल गेहूं, मंगवाए थे 35 हजार क्विंटल, निलम्बित आईएएस निर्मला व दो अन्य के खिलाफ एसीबी ने पेश की चार्जशीट

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विकास चौधरी/जोधपुर. आठ करोड़ के राशन के गेहंू गबन मामले में एसीबी ने कोर्ट में पेश चार्जशीट में सिलसिलेवार खुलासे किए हैं। चौंकाने वाली बात है कि तत्कालीन उपखंड अधिकारी ने 12 माह की अवधि में जहां महज 24 नए उपभोक्ताओं के नाम जोड़े, वहीं निलंबित आइएएस निर्मला मीणा ने एक माह में ही 33 हजार पविार बढऩा बता दिया। इस गोलमाल में कागजों में तो 33 हजार परिवार बढ़ाने की जानकारी सरकार को दी गई, लेकिन यह आंकड़ा ऑनलाइन अपडेशन में पकड़ में आ गया।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने नवम्बर 2015 को आदेश जारी कर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के पात्रता धारकों में नाम जुड़वाने और हटवाने के लिए क्षेत्र के उपखण्ड अधिकारी को अधिकृत कर रखा है। जोधपुर के तत्कालीन उपखण्ड अधिकारी आलोक रंजन ने सात दिसम्बर 2015 से 4 नवम्बर 2016 तक मात्र 24 व्यक्तियों के नाम ही जोडऩे की अनुशंषा की थी। तत्कालीन जिला रसद अधिकारी प्रथम निर्मला मीणा ने मार्च 2016 में एक साथ 33 हजार परिवार बढऩा बता दिया था और उसके आधार पर 35020 क्विंटल गेहूं का अतिरिक्त आवंटन तक करवा लिया था।
एसीबी ने आरोपी से एसडीएम की ओर से आवंटित सूची मांगी तो वे पेश नहीं कर पाई। निर्मला ने पत्र भेजकर मार्च 2016 के लिए 35016 क्विंटल गेहूं के अतिरिक्त आवंटन की मांग की थी। अतिरिक्त खाद्य आयुक्त ने 25 फरवरी को 35020 क्ंिवटल गेहूं का अतिरिक्त आंवटन कर भी दिया था। तत्कालीन डीएसओ ने गेहूं उठा भी लिया था। साथ ही बिना किसी आधार के आवंटन भी कर दिया और जिला कलक्टर से अनुमोदन नहीं कराया। यह खुलासा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से बुधवार को निर्मला मीणा, ठेकेदार सुरेश उपाध्याय व आटा मिल मालिक स्वरूपसिंह राजपुरोहित के खिलाफ कोर्ट में पेश चार्जशीट में किया गया।
उपायुक्त से ली थी राय, गेहूं आवंटन कैसे किए जाएं?

एसीबी की जांच में साफ है कि निर्मला ने खाद्य आयुक्त के नाम 11 फरवरी 2016 को ईमेल कर 19 अगस्त 2015 को समर्पित गेहूं की मात्रा फिर से आवंटन करने का निवेदन किया था। यह पत्र निर्मला ने तत्कालीन उपायुक्त मुकेशकुमार मीना के निजी ई-मेल पर भेजा था। उपायुक्त ने निर्मला को अवगत कराया कि पूर्व में समर्पित गेहूं दुबारा आवंटित नहीं हो सकते। लिहाजा समर्पित शब्दा हटाकर फिर से पत्र भेजा जाए। निर्मला ने उसी पत्र पर क्रमांक बदलकर 19 फरवरी 2016 को समर्पित शब्दा हटाकर मुकेशकुमार मीना के निजी ई-मेल पर फिर पत्र भेज दिया, लेकिन वे सहमत नहीं हुए। उन्होंने निर्मला से बात कर बताया कि अतिरिक्त परिवार बढऩे से संबंधित मांग की जाए तो ही अतिरिक्त आवंटन हो सकता है। तब 23 फरवरी को निर्मला ने एक और ई-मेल भेजकर शहर में 33 हजार परिवार बढऩे से 35016 क्विंटल अतिरिक्त गेहूं की मांग की थी। दो दिन बाद ही 25 फरवरी को 35020 क्विंटल गेहूं आवंटित कर दिया गया था।
नियम से साढ़े चार गुना अधिक मांग व आवंटन


खाद्य सुरक्षा योजना के तहत चयनित उपभोक्ता के राशन कार्ड पर एक यूनिट (व्यक्ति) को 5 किलो गेंहूं का हर माह वितरण होता है। ऐसे में 35,020 क्विंटल अतिरिक्त गेहूं के वितरण के लिए 7 लाख चार सौ यूनिट की आवश्यकता होती है। पांच यूनिट औसत का भी एक परिवार मानें तो 1,40,080 राशन कार्डधारी नए परिवार होने चाहिए, जबकि 33,000 नए परिवारों के नाम पर ही गेहूं की मांग की गई थी। करीब 33 हजार परिवार बढऩे पर औसत पांच व्यक्तियों के परिवार मानकर गणना की जाए तो 165000 यूनिट होते हैं। इनके लिए 8,250 किलो गेहूं की ही जरूरत होती है।
शहरी क्षेत्र में से दस हजार क्विंटल ग्रामीण क्षेत्र में आवंटित


पैंतीस हजार क्विंटल गेहूं के अतिरिक्त आवंटन में से नियम के विपरीत ग्रामीण क्षेत्र की लूनी, मंडोर व बावड़ी क्रय-विक्रम सहकारी समिति में वितरण करना दर्शा दिया, जबकि यह गेहूं सिर्फ शहरी क्षेत्र के लिए था।
एक माह बाद गायब हो गए 33 हजार परिवार


निर्मला ने मार्च 2016 में तैंतीस हजार नए परिवार जुडऩे के नाम पर पैंतीस हजार क्विंटन गेहूं का आवंटन कराया था। परिवार जुड़े होते तो ऑनलाइन क्यूं नहीं किया गया। अगले माह गायब कैसे हो गए। नगर निगम की ओर से जारी चार जावक पत्र में से अंतिम पत्र में 15152 परिवार की अहस्ताक्षरित संख्या है, जो संदिग्ध मानी गई है। तीन दिन बाद की तारीख 11 अगस्त 2015 अंकित है। पत्र 7 अगस्त को ही डिस्पेच होना बताया गया है।
पूछताछ में स्वीकारोक्ति


निर्मला से पूछताछ में स्पष्ट है कि 35 हजार क्विंटल गेहूं की मांग पहले समर्पित गहूं के लिए की गई थी। उन्होंने यह स्वीकारा है कि राशन डीलरों को गेहूं आवंटन करने संबंधित कार्य जिला रसद अधिकारी का ही होता है। वो हीहस्ताक्षर करते हैं। निर्मला ने राशन डीलरों को आवश्यकता न होने और दुकान बंद होने पर भी गेहूं आवंटन किए थे।
गेहूं बेचकर की बंदरबांट


आटा मिल मालिक स्वरूपसिंह ने पूछताछ में स्वीकारा कि अतिरिक्त आवंटित गेहूं में खुदबुर्द किए राशन के गेहूं की बिक्री पर 5 रुपए प्रति किलो निर्मला, 4 रुपए प्रति किलो संबंधित राशन डीलर, एक रुपए प्रति किलो गेहूं शाखा के लिपिक अशोक पालीवाल और शेष राशि स्वरूपसिंह व सुरेश उपाध्याय में आधी-आधी बांटी गई थी।
मिल में खुर्दबुर्द किया 4400 क्विंटल गेहूं


आरोपी स्वरूपसिंह की उमा इण्डस्ट्रीज नामक आटा मिल है। उसने 25 सौ से तीन हजार क्विंटल गेहूं राजेश अग्रवाल, 15 सौ क्विंटल गेहूं मुखराम सारस्वत की फर्म अंबिका फूड सांगरिया, तीन हजार क्विंटल गेहूं अन्य व्यक्तियों को बेचना और खुद की आटा मिल में 44 सौ क्विंटल गेहूं पीसना व खुर्दबुर्द करना स्वीकारा है।
एक किलो गेहूं नहीं पीसा, बिजली बिल डेढ़ लाख रुपए


उमा इण्डस्ट्रीज की मार्च 2016 की ऑडिट रिपोर्ट देखने पर एक किलो गेहूं भी नहीं पीसने की जानकारी मिली, लेकिन उस माह बिजली का बिल 1.5 लाख रुपए का भुगतान किया गया था। अप्रेल में एक हजार क्विंटल गेहूं पीसा गया था और बिल 1.43 लाख रुपए का भुगतान किया गया था। मई में एक क्विंटल गेहूं भी नहीं पीसा था, लेकिन बिल 1.35 लाख भरा गया था।
राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित समाचार पर जांच, पुष्टि


1 जून 2017 राजस्थान पत्रिका में ‘सीएमओ से आई जांच फाइलों में दब गई, जिस अफसर पर आरोप उसी ने रुकवा दी जांच’ समाचार प्रकाशित किया था। अतिरिक्त खाद्य आयुक्त पी रमेश के कार्यालय से जांच के आदेश दिए गए थे। जांच में निर्मला के पत्र पर गेहूं आवंटन की मांग व आवंटित किया जाना प्रमाणित हुआ था। संभागीय उपभोक्ता संरक्षण अधिकारी महेन्द्रसिंह नूनिया ने जांच रिपोर्ट में यह अंकित भी किया था।
एसीबी ने इन अधिकारियों के लिए बयान


– भंवरसिंह सांदू, तत्कालीन जिला रसद अधिकारी प्रथम
– महावीरसिंह राजपुरोहित, पूर्व डीएसओ जोधपुर
– भावना दयाल, तत्कालीन प्रवर्तन निरीक्षक डीएसओ प्रथम, जोधपुर
– संबंधित राशन डीलरों के मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान।
– सैकड़ों राशन कार्ड होल्डर्स के राशन कार्ड का अवलोकन। मार्च 2016 में अतिरिक्त आवंटन नहीं मिला।
लिपिक का सुराग नहीं


एसीबी ने सबसे पहले 30 जनवरी को आटा मिल मालिक स्वरूपसिंह को गिरफ्तार किया था। उसने सरकारी राशन का 12 हजार क्विंटल गेहूं गबन करना कबूल किया था। परिवहन ठेकेदार सुरेश उपाध्याय भी गिरफ्तार हो चुका है। लिपिक अशोक पालीवाल का सुराग नहीं है।
आरोपों की पुष्टि


एसीबी एसपी अजयपाल लाम्बा के निर्देशन में जांच अधिकारी व निरीक्षक मुकेश सोनी की जांच में निर्मला के गेहूं शाखा के लिपिक अशोक पालीवाल, परिवहन ठेकेदार उपाध्याय व आटा मिल मालिक/सह-परिवहन ठेकेदार स्वरूपसिंह के साथ मिलकर गबन की पुष्टि मानी गई।
आवंटन सिर्फ डीएसओ के आवंटन पत्र पर


गेहूं का आवंटन एफसीआई के गोदाम से होता है, जो डीएसओ की ओर से भेजे आवंटन पत्र के आधार पर किया जाता है। जांच में दोषपूर्ण आवंटन पत्र के आधार पर जारी गेहूं के लिए निर्मला ही दोषी पाई गई।
चार करोड़ रुपए के गबन की पुष्टि


35020 क्विंटल गेहूं में से दस हजार क्विंटल नियम के विपरीत ग्रामीण क्षेत्र में बांट दिए। 6132 क्विंटल गेहूं एफसीआई में लेप्स, शेष बचा गेहूं आटा मिलों में खुर्दबुर्द कर सरकार को 4 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया।
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