जोधपुर

भ्रष्टाचार में फंसे अफसरों पर कार्रवाई में अपनाए जा रहे दोहरे मापदंड!

एक थानेदार को एफआइआर दर्ज होते ही निलम्बित किया, दूसरे को चालान पेश होने के दो माह बाद, नागौर में थानेदार को मिली पदोन्नति व फील्ड पोस्टिंग, सूरतगढ़ व श्रीगंगानगर में महिला पार्षद, पति व दो इंजीनियरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति का इंतजार

जोधपुरJul 22, 2019 / 02:03 pm

Harshwardhan bhati

भ्रष्टाचार में फंसे अफसरों पर कार्रवाई में अपनाए जा रहे दोहरे मापदंड!

जोधपुर. राज्य के सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई में अलग-अलग मापदंड अपनाए जा रहे हैं। जोधपुर ग्रामीण पुलिस में लोहावट थानाधिकारी सुनील ताडा को एसीबी में एफआइआर दर्ज होते ही निलम्बित कर दिया गया, वहीं बालोतरा थाने में पदस्थानापन के दौरान रिश्वत मांगने के आरोपी एसआइ जगदीश बिश्नोई के निलम्बन में चालान पेश होने के बाद भी दो माह लग गए। हालांकि एसीबी में एफआइआर दर्ज होने के बाद एसआइ जगदीश बिश्नोई का तबादला जैसलमेर पुलिस लाइन कर दिया गया था। आइजी जोधपुर रेंज सचिन मित्तल का कहना है कि एसआइ के खिलाफ उसी समय कार्रवाई की जानी चाहिए थी।
भूखण्ड से जुड़ी धोखाधड़ी के मामले में एफआर लगाने की एवज में जोधपुर ग्रामीण में लोहावट थानाधिकारी पर एक लाख रुपए मांगकर पचास हजार रुपए मध्यस्थ अशोक कुमार उर्फ किशोर को दिलाने की पुष्टि हुई थी। एसीबी कार्रवाई का पता लगने से थानाधिकारी को रंगे हाथों पकड़ा नहीं जा सका। इसके बाद एसीबी के जयपुर स्थित मुख्यालय ने सत्यापन के आधार पर 11 जुलाई को एफआइआर दर्ज की थी। मामला दर्ज होने के अगले दिन 12 जुलाई को डीआइजी रेंज जोधपुर ने एसआइ ताडा को निलम्बित कर दिया। इससे आमजन में सकारात्मक संदेश गया था।
22 माह में चार्जशीट पेश, ढाई माह बाद निलम्बन
बाड़मेर जिले के बालोतरा थाने के तत्कालीन एसआइ जगदीश सिहाग पर जून 2017 में 61 लाख रुपए की धोखाधड़ी के मामले में छह लाख रुपए रिश्वत मांगने का आरोप है। सत्यापन में वह पांच लाख रुपए पर सहमत हो गया था और दो लाख रुपए अग्रिम मांगे थे। इसमें से पच्चीस हजार रुपए उसने थाने के कांस्टेबल रामाराम बिश्नोई को दिलवाए थे। दूसरे दिन परिवादी अग्रिम राशि के शेष 1.75 लाख रुपए देने थाने पहुंचा था तो एसआइ जगदीश को संदेह हो गया था और वह बगैर रिश्वत लिए थाने निकल गया था। एसीबी ने दोनों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर बाइस महीने बाद 23 अप्रेल 2019 को कोर्ट में चालान पेश किया था। इसके ढाई महीने बाद जुलाई में एसआइ जगदीश को निलम्बित किया गया है।
अभियोजन स्वीकृति मिलते ही करना होता है निलम्बन
रिश्वत मांगने का आरोप प्रमाणित होने पर आइजी रेंज ने एसआइ व एसपी (बाड़मेर) ने कांस्टेबल के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दी थी। सरकारी नियमों के तहत अभियोजन की स्वीकृति मिलते ही एसआइ व कांस्टेबल निलम्बित होने चाहिए, लेकिन कोर्ट में चालान पेश होने के लम्बे समय तक मेहरबानी बरती गई।
दो साल से थानाधिकारी के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति लम्बित
नागौर में मेड़ता सिटी थानाधिकारी व एसआई अमराराम खोखर के खिलाफ दो साल से अभियोजन स्वीकृति लम्बित है। अजमेर जिले के भिनाय थाने में पदस्थानापन्न के दौरान धारा 166 (ए) के दोषी पाए गए थे। तत्कालीन एसपी राजेन्द्रसिंह ने प्रकरण को अभियोजन स्वीकृति के लिए डीजीपी के पास भेज दिया था। एसआइ पदोन्नत होकर निरीक्षक के पद पर मेड़ता सिटी थाने में पदस्थापित है।
एसीबी में मामले दर्ज, अभियोजन स्वीकृति का इंतजार
सूरतगढ़ नगर पालिका के तत्कालीन ईओ भंवरलाल सोनी के खिलाफ पद के दुरुपयोग के दो मामले एसीबी में दर्ज हैं, लेकिन स्वायत्त शासन विभाग ने अभी तक अभियोजन स्वीकृति नहीं दी है। श्रीगंगानगर भाजपा पार्षद लता चौधरी व पति तरुण चौधरी रिश्वत और सहायक अभियंता मेजरसिंह रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किए गए थे। कनिष्ठ अभियंता गौरीशंकर पर रिश्वत मांगने का भी आरोप है। इनके खिलाफ अभी तक अभियोजन स्वीकृति नहीं दी गई है।

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