शहर से सटी कई ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जिसमें संचालित होने वाली कई सरकारी व निजी स्कूलों को शाला दर्पण रिकॉर्ड में पंचायत के बजाय शहरी बताया गया है। जबकि धरातल पर ऐसे स्कूल पंचायत सीमा में चल रहे हैं। इसके चलते आगे की पढ़ाई के लिए सरकारी विश्वविद्यालय में आवेदन करने वाले विद्यार्थियों को ग्रामीण क्षेत्र का होने की वजह से मिलने वाला पांच प्रतिशत आरक्षण का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।
प्रमाण पत्र में अड़ंगा
विद्यार्थी के पास ग्राम पंचायत की ओर से दिए जाने वाला प्रमाण पत्र भी होना आवश्यक है, लेकिन शहरी रिकॉर्ड में दर्ज स्कूल की वजह से पंचायत भी नियमानुसार प्रमाण पत्र जारी नहीं कर पा रही है। यह हाल जोधपुर कि नगर निगम सीमा से सटी ग्राम पंचायत सांगरिया, कुड़ी, झालामंड के हैं।
आधे से ज्यादा शहरी स्कूल
ग्राम पंचायत कुड़ी में हिंदी अंग्रेजी सहित संस्कृत माध्यम के कुल 11 स्कूल संचालित हो रहे हैं, लेकिन इनमें से महज दो स्कूल को ही ग्राम पंचायत के लूणी ब्लाक में दर्शाया गया है। जबकि अन्य सभी 9 स्कूलों को जोधपुर जिले के नगर निगम वार्ड संख्या 25 के क्षेत्राधिकार की स्कूल दर्शाया गया है। जबकि यह सभी स्कूल ग्राम पंचायत की सीमा में ही संचालित हो रहे हैं। इसी तरह सांगरिया ग्राम पचायत में राम मोहल्ला महामंदिर की स्कूल संचालित हो रही है। जो ग्राम पंचायत की होने के बावजूद रिकॉर्ड में शहरी है।
इनका कहना है
मैंने ग्राम पंचायत की स्कूल से पढ़ाई की अब कॉलेज के लिए आवेदन करना है। इसके लिए आवेदन में पंचायत से जारी प्रमाण पत्र भी लगाना आवश्यक है, लेकिन शहरी रिकॉर्ड में दर्ज होने की वजह से प्रमाण पत्र नही मिल पा रहा है।
- मीनाक्षी चौधरी, छात्रा
ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए कॉलेज फॉर्म भरने के लिए पंचायत की ओर से जारी प्रमाण पत्र भी होना आवश्यक है, लेकिन स्कूल का नाम शहरी रिकॉर्ड में होने की वजह से रियायत नहीं मिल पाई।
- भावना, छात्रा
पंचायत में चल रही शहरी क्षेत्र की स्कूल से यदि विद्यार्थियों को फायदा नहीं हो रहा है तो संस्था प्रधान लिखकर संबंधित सीबीईओ को दे। यहां से आवेदन को आवश्यक कार्यवाही के लिए शिक्षा निदेशालय बीकानेर भेजा जाएगा।
- डाॅ. भल्लुराम खीचड़, जिला शिक्षा अधिकारी जोधपुर