एडीएचडी से ग्रसित बच्चे काफ ी ज्यादा चहल कदमी करते है, एक जगह टिक कर नहीं बैठ पाते है, इसलिए अधिकतर समय उनके स्कूल से भी शिकायत आती है कि बच्चा पढ़ाई कम एवं शैतानी ज्यादा करता है। साथी बच्चों को भी परेशान करता है। ये बच्चे किसी चीज में ध्यान लगाने या पढाई में या एकाग्र होने में भी काफ ी मुश्किल महसूस करते हैं।
एडीएचडी से संबंधित तकलीफें समान्यतया बचपन में ही शुरू हो जाती है, लेकिन बीमारी की तीव्रता कम होने पर इसके लक्षण बाद में किशोरावस्था में भी दिख सकते है। मनोचिकित्सक एवं मनोवैज्ञानिक से परामर्श ले कर हम इसे सही समय पर पहचान सकते है, संतुलित इलाज से विकास को बेहतर गति दे सकते है।
एम्स में कार्यक्रम आज इसी महीने एम्स मनोचिकित्सा विभाग की सहआचार्य डॉ प्रतिभा गहलावत ने ओपीडी में आने वाले सारे मरीजों एवं परिवारजनों को एडीएचडी के बारे में जागरूक करने के लिए शॉर्ट वीडियो बनाई है, जो ओपीडी पंजीकरण एवं वेटिंग एरिया में समस्त एलईडी स्क्रीन पर प्रसारित की जा रही है। वहीं गुरुवार को मनोचिकित्सा विभाग के अतिरिक्त आचार्य डॉ नरेश नेभिनानी, समस्त रेजिडेंट डॉक्टर्स, फैकल्टी की ओर से एडीएचडी से ग्रसित बच्चों के परिवारजनों के लिए पैरेंट स्किल ट्रेनिंग कार्यशाला आयोजित करेंगे। ताकि बीमारियों को लेकर अभिभावकों में जागरूकता आए।