साथ ही नगर निगम को वेस्ट पटेल नगर में बारिश के बाद भरे पानी की तत्काल निकासी के इंतजाम सुनिश्चित करने को कहा है। वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश अरुण भंसाली की खंडपीठ में माधोसिंह कच्छवाहा की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता सीएस कोटवानी ने बताया कि वेस्ट पटेल नगर से गुजर रहे बरसाती नाले में सीवरेज का प्रदूषित आने से बारिश के बाद जलभराव की स्थिति बन गई है।
यह समस्या कई सालों से है, लेकिन इसका स्थायी समाधान नहीं किया गया है। कोर्ट ने इस पर नाराजगी प्रकट की कि वर्ष 2015 से जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान वेस्ट पटेल नगर की यह समस्या सभी सरकारी विभागों के ध्यान में लाई गई थी, इसके बावजूद जलभराव की समस्या के निदान के लिए किसी ने ठोस कदम नहीं उठाया।
कोर्ट ने कहा कि समय-समय पर शहर में सफाई के इंतजाम करने तथा बरसाती नालों के जोजरी (jojari river) तक मिलान और उन्हें सीवर सिस्टम से अलग करने के कई दिशा-निर्देश दिए गए हैं, लेकिन याचिका की सुनवाई काफी समय बाद होने से सभी बिंदुओं की वर्तमान पालना रिपोर्ट देखी जानी अपेक्षित है।
खंडपीठ ने सभी संबंधित महकमों को दो सप्ताह में पूर्ववर्ती सभी आदेशों की पालना रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी। ग्राउंड रियलिटी
8 नवंबर, 2016 – राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम को शहर में साफ-सफाई सुनिश्चित करने के लिए सफाईकर्मी और जमादार का नाम व मोबाइल नंबर वार्डों के प्रमुख स्थानों पर साया करने को कहा, ताकि लोग सफाई नहीं होने पर उनसे संपर्क कर सकें। सेनेट्री इंस्पेक्टर को सजगता से ड्यूटी संपादित करने सहित सेना, एयरफोर्स, बीएसएफ, अस्पताल, रेलवे, रीको व अन्य संस्थानों को भी सोलिड वेस्ट केरू में ही निस्तारित करने के लिए समन्वय करने के निर्देश। नियमित साफ सफाई पर फोकस।
8 नवंबर, 2016 – राजस्थान हाईकोर्ट ने नगर निगम को शहर में साफ-सफाई सुनिश्चित करने के लिए सफाईकर्मी और जमादार का नाम व मोबाइल नंबर वार्डों के प्रमुख स्थानों पर साया करने को कहा, ताकि लोग सफाई नहीं होने पर उनसे संपर्क कर सकें। सेनेट्री इंस्पेक्टर को सजगता से ड्यूटी संपादित करने सहित सेना, एयरफोर्स, बीएसएफ, अस्पताल, रेलवे, रीको व अन्य संस्थानों को भी सोलिड वेस्ट केरू में ही निस्तारित करने के लिए समन्वय करने के निर्देश। नियमित साफ सफाई पर फोकस।
हालात – पत्रिका ने हाईकोर्ट के आदेशों की पालना की हकीकत देखी तो सामने आया कि अधिकांश वार्डों में सफाईकर्मियों के नाम इंगित करते हुए बोर्ड लगाए ही नहीं गए हैं। अधिकांश वार्डों में कचरे के ढेर हैं। बारिश के बाद तो मुख्य सडक़ों के हालात भी खराब हो गए हैं। लोगों ने निर्माण कार्यों का मलबा भी सडक़ किनारे या खाली भूखंडों पर डाल दिया है, जिसे हटाने की जहमत कोई नहीं उठा रहा।
20 जनवरी, 2017 – हाईकोर्ट ने नगर निगम को यह आदेश दिए थे कि जोधपुर शहर में स्थित नालों को लेकर नगर पालिका अधिनियम की धारा 204 की पालना सुनिश्चित की जाए। धारा 204 में यह प्रावधान है कि वर्षा जल की निकासी तथा सीवरेज की निकासी के लिए अलग-अलग नालों की व्यवस्था होनी चाहिए।
20 जनवरी, 2017 – हाईकोर्ट ने नगर निगम को यह आदेश दिए थे कि जोधपुर शहर में स्थित नालों को लेकर नगर पालिका अधिनियम की धारा 204 की पालना सुनिश्चित की जाए। धारा 204 में यह प्रावधान है कि वर्षा जल की निकासी तथा सीवरेज की निकासी के लिए अलग-अलग नालों की व्यवस्था होनी चाहिए।
हालात – वेस्ट पटेल नगर से निकल रहे नाले को लेकर निगम ने अब तक इस आदेश की पालना नहीं की थी, जहां बरसाती नाले में सीवरेज का प्रदूषित पानी प्रवाहित हो रहा है। इसके अलावा शहर के कमोबेश हर नाले में सीवरेज पानी की निकासी आम बात है। ऐसा एक भी बरसाती नाला नहीं है, जिसमें केवल बरसाती पानी की निकासी हो रही हो। कई नालों में सीवर लाइनें क्रॉस हो रही हैं, जिनके लीकेज के चलते भी नालों के आस-पास की कॉलोनियों का जीना मुहाल है।