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ठेका कंपनियों को एम्बुलेंस थमा जिम्मेदारी से मुक्त हुई सरकार, सीएमएचओ को भेज रही झूठी जानकारी

locationजोधपुरPublished: Jan 16, 2018 11:47:44 am

Submitted by:

Harshwardhan bhati

hoहैंडओवर लेने के बाद से ठेका कंपनी ने न तो नए कर्मचारी लगाए और न ही डलवाए इक्विपमेंट
 

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कुणाल पुरोहित/जोधपुर. ठेका कंपनी जीवीके ईएमआरआई ने सुविधाओं को दरकिनार कर बेस एंबुलेंसों से मुंह मोड़ लिया है। ठेका कंपनी का ध्यान केवल १०८ और १०४ के संचालन पर ही है। सरकार ने इंटिग्रेटेड एंबुलेंस सर्विस के तहत सरकारी एंबुलेंसों को भी बेस का नाम देकर हैंडओवर कर दी थी, लेकिन एक साल बाद भी ठेका कंपनी ने न तो इनमें कर्मचारी लगाए हैं और न ही किसी प्रकार के उपकरण ही लगाए गए हैं।
हर महीने केवल दो हजार रुपए प्रति एंबुलेंस सरकार के खाते में कंपनी की तरफ से जरूर जा रहे हैं, लेकिन ठेका कंपनी कर्मचारियों का वेतन, डीजल और एंबुलेंसों के मेन्टेनेंस का पैसा बचा रही है। जबकि बेस एंबुलेंस का काम मरीज को ऑन कॉल घर से लेने और अस्पताल में दिखाने के बाद उसे घर छोडऩे तक का ही है। इसके लिए ठेका कंपनी को मरीज से २० रुपए प्रति किमी की दर से वसूल करना है। अगर बात पिछले छह महीने की करें तो बेस एंबुलेंस ने इक्का दुक्का मरीजों को ही इसकी सुविधा उपलब्ध करवाई होगी।
ईएमई बोले- खराब पड़ी हैं दोनों एंबुलेंस

पत्रिका टीम ने १०८ के कॉल सेंटर पर कॉल कर के बेस एंबुलेंस बुलाई। इस पर बहुत देर तक तो कॉल सेंटर संचालक ने फोन पर समय बर्बाद किया। बाद में स्थानीय ईएमई से बात करवाई तो उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा, दोनों एंबुलेंसें खराब होने के कारण बेस एंबुलेंस नहीं भेज सकते।

एक साल बाद भी उपकरण नहीं डलवा सकी ठेका कंपनी

सरकार से एमओयू के बाद सरकारी अस्पतालों में खड़ी रहने वाली कुछ एंबुलेंस ठेका कंपनी के सुपुर्द कर दी थीं। सुपुर्दगी लेने के बाद भी ठेका कंपनी ने इसमें उपकरण तक नहीं लगवाए। जबकि इन बेस एंबुलेंसों में मैनुअल सक्शन मशीन, ऑक्सीजन सिलेंडर, पल्स ऑक्सीमीटर, बीपी इंस्ट्रूमेंट, स्टेथोस्कोप, फस्र्ट एड किट और मेडिसिन किट लगाना था।
डेली रिपोर्ट में बेस एंबुलेंस बताई ऑन रोड

ठेका कंपनी रोजाना सुबह १०८, १०४ और बेस एंबुलेंसों की रिपोर्ट सीएमएचओ ऑफिस भेजती है। सोमवार को बेस एंबुलेंस की जो रिपोर्ट सीएमएचओ ऑफिस भेजी गई थी, उसमें शहर की दोनों एंबुलेंस ऑन रोड थीं। जबकि वास्तव में कंपनी के हिसाब से इन एंबुलेंस में तकनीकी समस्या थी। शहर में दो बेस एंबुलेंस हैं। इनमें से एक एंबुलेंस तो मंडोर सैटेलाइट अस्पताल में खड़ी है। जबकि दूसरी एंबुलेंस बारहवीं रोड पर धूल फांक रही है।

जवाब नहीं दे पाए ठेका कंपनी के अधिकारी

ठेका कंपनी के पीएम लक्ष्मीचंद से बात की तो उनका कहना था कि बेस एंबुलेंसें ऑफ रोड है या नहीं, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। वे पता कर के बता पाएंगे, लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि अभी तक न तो ठेका कंपनी ने एंबुलेंस में उपकरण लगवाए हैं और न ही ईएमटी और पायलट लगाए हैं तो इस पर वे कोई जवाब नहीं दे पाए।
पहले ८-१० मरीज होतेे थे रैफर पहले इन एंबुलेंसों का संचालन सरकारी अस्पताल वाले खुद करते थे तो यह स्थिति थी कि इसमें जो भी रैफर केस आता था , वह बिल्कुल निशुल्क होता था, मगर इंटिग्रेटेड एंबुलेंस सर्विस शुरू करने के बाद से मरीजों से २० रुपए प्रति किलोमीटर की दर से वसूल किया जाने लगा। कई बार दे चुके हैं नोटिस ठेका कंपनी को बेस एंबुलेंस के निरीक्षण में कमियां पाए जाने पर कई बार नोटिस दिए हैं। वैसे यह भुगतान कर के सेवा ली जाने वाली सुविधा है। इसका उपयोग भी कम ही होता है।
– सुरेंद्रसिंह चौधरी, सीएमएचओ, जोधपुर

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