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सर्जिकल स्ट्राइक की वर्षगांठ से पूर्व 1965 युद्ध के शूरवीर ने ताजा की यादें, पाक को दिया करारा जवाब

locationजोधपुरPublished: Sep 23, 2018 04:15:02 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

1965 भारत-पाक युद्ध विजय दिवस विशेष, देशी नेट विमानों ने अमरीकी एफ-86 के छक्के छुड़ाए
 

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जोधपुर. पाकिस्तान ने अप्रेल 1965 में हमारे साथ अनौपचारिक युद्ध की शुरुआत कर दी। पाकिस्तान अत्याधुनिक टैंक लेकर कच्छ के रण से अंदर घुसा और कुछ पोस्ट पर कब्जा कर लिया। इसके बाद 17 मई को कारगिल में हमला किया। सेना ने जैसे-तैसे इसे भी फेल कर दिया। पाक राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने कश्मीर को हथियाने के लिए 5 अगस्त 1965 को 33 हजार सैनिकों को साधारण वेश में कश्मीर में घुसपैठ करवाई। पाक की यह योजना उस समय फैल हो गई जबकि कश्मीर के स्थानीय लोगों ने उनका साथ नहीं दिया। सेना ने हेलीकॉप्टर्स की मदद से सारे घुसपैठियों को मार गिराया। यह योजना फैल होते देख पाकिस्तान तमतमा गया और उसने 1 सितम्बर को बगैर किसी चेतावनी के अख्नूर सेक्टर में युद्ध शुरू कर दिया।
पाक के 10 से 15 हजार सैनिक घुसे। उनके साथ अत्याधुनिक टैंक, मोटार्र, एंटी एयरक्राफ्ट गन, लाइट मशीन गन जैसे हथियार थे। उस समय भारत के करीब एक हजार जवान वहां तैनात थे। आर्मी ने एयरफोर्स की मदद मांगी। एयरफोर्स ने शाम को एक घण्टे में ही वहां पहुंचकर वैम्पायर व ऑरेगन फाइटर जहाजों से हमला शुरू किया। भारत के पास पुराने तकनीक के जहाज थे जबकि पाकिस्तान के पास उस समय दुनिया के आधुनिक लड़ाकू जहाज एफ-86 अैर एफ-104 थे जो अमरीका ने दिए थे। भारत के कई जहाजों को नुकसान पहुंचा। इसके बाद इन जहाजों को हटाकर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लि. द्वारा बनाए देशी नेट जहाजों से हमले किए जो कारगर रहे। नेट जहां लॉ लेवल फ्लाइंग करते हुए तेजी से हवा में जा सकता था। नेट ने पाकिस्तान जहाजों को तबाह कर दिया और पाकिस्तान एयरफोर्स के छक्के छूट पड़े।
तब भारतीय सेना ने लाहौर के रास्ते पाकिस्तान में प्रवेश करने की रणनीति बनाई। भारत ने 6 सितम्बर को औपचारिक युद्ध की घोषणा की थी। तब आर्मी व एयरफोर्स सियालकोट व लाहौर की तरफ बढ़ी। दो तरफा हमला पाकिस्तान सहन नहीं कर पाया। हम लाहौर से 20 दूर थे और बाड़मेर सीमा के अंदर भी प्रवेश कर गए थे। तब 23 सितम्बर को रूस की मध्यस्थता और संयुक्त राष्ट्र के दबाव में युद्ध विराम करना पड़ा।
(जम्मू कश्मीर में तैनात रहे एयरफोर्स के तत्कालीन फ्लाइंग ऑफिसर जोधपुर निवासी सुरेंद्र सिंह भाटी ने 1965 के भारत-पाक युद्ध के अनुभव पत्रिका से साझा किए। जो बाद में विंग कमाण्डर के तौर पर सेवानिवृत्त हुए।)
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