न्यायाधीश संदीप मेहता तथा न्यायाधीश विनित कुमार माथुर की खंडपीठ को आसाराम की ओर से पेश सजा निलंबन के प्रार्थना पत्र पर बहस शुरू करने के लिए आने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता के जोधपुर आने के संबंध में असमर्थता से अवगत करवाया गया। साथ ही सुनवाई स्थगित करने का आग्रह किया गया। इसे स्वीकार करते हुए खंडपीठ ने गुजरात में चल रहे ऐसे ही मामले में ट्रायल का स्टेटस बताने को कहा है। गौरतलब है कि कोर्ट ने इससे पहले मार्च 2019 में सजा निलंबन का पहला प्रार्थना पत्र खारिज करते हुए आसाराम की ओर से अपील पर जल्द सुनवाई की प्रार्थना मंजूर की थी। बाद में उसी साल सितंबर में आसाराम को तब झटका लगा, जब सजा निलंबन का प्रार्थना पत्र दूसरी बार खारिज हुआ था। अब तीसरी बार यह प्रार्थना पत्र इस आधार पर पेश किया गया है कि आसाराम की ओर से पेश अपील पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के 10 फरवरी के आदेश के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी है। हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को इस मामले में तत्कालीन डीसीपी अजयपाल लांबा को तलब किया था। उन्हें आसाराम प्रकरण पर लिखी किताब में दिए गए कुछ तथ्यों के परीक्षण के लिए बुलाया गया था। अब अपील पर सुनवाई शीर्ष कोर्ट के निर्देश या निर्णय पर निर्भर करेगी।