जोधपुर

एक ऐसे एक्सपर्ट जिनके टिप्स पर थी ड्रेनेज, सीवरेज, पेयजल सप्लाई की व्यवस्था

श्वान को बचाने के प्रयास में मोपेड से गिरे इंजीनियर की मृत्युसुबह घूमने के लिए निकले थे घर से, कुछ दूरी पर हादसा
 

जोधपुरOct 21, 2020 / 08:10 pm

Avinash Kewaliya

एक ऐसे एक्सपर्ट जिनके टिप्स पर थी ड्रेनेज, सीवरेज, पेयजल सप्लाई की व्यवस्था

जोधपुर.
चौपासनी हाउसिंग बोर्ड में नहर रोड पर निजी अस्पताल के पास बुधवार सुबह श्वान को बचाने के प्रयास में मोपेड से नीचे गिरने से जलदाय विभाग से सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता की मृत्यु हो गई। परिजन के आग्रह पर पुलिस ने बगैर कोई कार्रवाई कराए शव परिजन को सौंप दिया।
पुलिस के अनुसार चौहाबो में सेक्टर 23 निवासी महेशचन्द्र शर्मा (67) पुत्र गोपालचन्द्र जलदाय विभाग में अधीक्षण अभियता से सेवानिवृत्त थे। हमेशा की भांति वे सुबह आठ बजे घूमने के लिए मोपेड पर घर से निकले थे। नहर रोड पर निजी अस्पताल के पास पहुंचने पर अचानक सामने एक श्वान आ गया। उसे बचाने के प्रयास मेंं मोपेड अनियंत्रित हो गई और सिर के बल नीचे गिर गए। अंदेशा है कि सिर डिवाइडर से जा टकराया और गंभीर चोट लग गई। आस-पास के लोगों ने उन्हें मथुरादास माथुर अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित दिया। हेड कांस्टेबल अरविंद मीणा का कहना है कि इस संबंध में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।
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तीन दशक में कई बड़े प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे शर्मा
जोधपुर.

शहर की सीवरेज व्यवस्था, ड्रेनेज और स्पोट्र्स सहित अन्य फील्ड के एकमात्र एक्सपर्ट के रूप में रिटायर्ड इंजीनियर महेश शर्मा को हमेशा याद किया जाएगा। पिछले तीन दशक में उन्होंने जोधपुर में अलग-अलग विभागों में अलग-अलग पदों पर सेवाएं दी। कई बड़े प्रोजेक्ट का हिस्सा रहे।
जलापूर्ति योजना – जेइएन से लेकर एक्सइएन तक पीएचइडी विभाग में काम किया। कई फिल्टर हाउस सुधारे। 1 हजार एमएम की ग्रेविटी लाइन योजना में सरकार के करोड़ों रुपए बचाए। सुरपुरा प्रोजेक्ट, बरसाती नहरों के संरक्षण का काम किया।
ड्रेनेज सिस्टम – नगर निगम में भी सेवाएं दी। दर्जनों नालों का निर्माण में भूमिका। अमृत योजना व ड्रेनेज मास्टर प्लान में भी भूमिका रही। हालही में जलभराव के जो स्पॉट चिह्नित किए गए हैं उनमें भी बहुत योगदान दिया।
सीवरेज सिस्टम – शहर के सीवरेज सिस्टम का नक्शा उनके टिप्स पर था। कई बड़ी सीवर लाइनों की सफाई करवाई। सुपर जेट मशीनें तक मंगवाई। जलदाय विभाग से निगम को वर्षों बाद सीवर संधारण शुल्क राशि भी दिलाई।
स्पोर्टस – वे एक कोच थे और अंत तक स्पोर्टस से लगाव था। 70 के दशक में सबसे पहले जिम खोला। गोशाला मैदान के विकास, चैनपुरा स्टेडियम विकास का खाका भी तैयार किया।

नमामि गंगे प्रोजेक्ट से जुड़े – जोजरी नदी के विकास के लिए वे नमामि गंगे प्रोजेक्ट से जुड़े। इसके अलावा सीवरेज के पुराने नक्शे एकत्रित कर उनको डिजिटलाइजेशन करवाया। एडीबी प्रोजेक्ट में शहर क पहला एरियल फोटोग्राफी डिजिटल नक्शा बनवाया। जोजरी रिवर फ्रंट की आरंभिक रूपरेखा भी इन्होंने ही बनवाई।
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