देचू निवासी 65 वर्षीय धन्नी देवी को पिछले छह माह से जांघ की हड्डी (फीमर) में तेज दर्द था। पिछले दो महीने से मरीज चलने-फिरने में असमर्थ थी। जांच में फीमर बोन में फाइब्रस हिस्टीयटोमा ट्यूमर के साथ पैथोलॉजिकल फ्रैक्चर की पुष्टि की गई। इसके अतिरिक्त मरीज की अस्थि घनत्व भी गहन ऑस्टियोपोरोसिस से ग्रसित होने के कारण इस केस में किसी भी प्रकार का ऑपरेशन चुनौतीपूर्ण था।
ऐसे हुआ ऑपरेशन डॉ भाटी के मार्गदर्शन में डॉ. मुकेश सैनी एवं अन्य चिकित्सकों की टीम ने फीमर हड्डी का 13 सेमी का ट्यूमर से खराब हुआ हिस्सा सामान्य अंग से अलग कर निकाला। इसकी जगह टीएटेनियम धातु का कृत्रिम मेगाप्रोस्थेसिस बोन सीमेंट की सहायता से प्रत्यारोपित किया गया। अब मरीज पूर्णत: दर्दमुक्त होकर चलने-फिरने में सक्षम है।
डॉक्टरों की टीम ऑर्थोपेडिक यूनिट हेड डॉ महेश भाटी, डॉ. मुकेश सैनी, एनेस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. सरिता जनवेजा, डॉ प्रमिला, रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. जियालाल तथा डॉ. संकल्प। दुर्लभ नैदानिक परिस्थिति
इस तरह का ट्यूमर एक दुर्लभ नैदानिक परिस्थिति है, जो लाखो में से एक मरीज को होता है। मेगाप्रोस्थेसिस का ऑपरेशन जटिल एवं खर्चीला रहता है, जो सामान्यत: मेट्रो सिटीज अथवा कॉर्पोरेट अस्पतालों में ही किया जाता है।
– राजश्री बेहरा, अधीक्षक, महात्मा गांधी अस्पताल