जज ने दोनों पक्षों की बहस ध्यान से सुनी इस दौरान आसाराम उर्फ आसूमल सिरूमलानी और पीडि़ता के वकीलों ने जोरदार तर्क रखे। दोनों पक्षों में कानूनी नजीर पेश करते हुए बहस हुई। जज मधुसूदन शर्मा ने दोनों पक्षों की बहस ध्यान से सुनी। जज ने 200 पेजोंके केस का बारीकी से अध्ययन किया। जेल के बंदियों के लिए भी जेल में कोर्ट लगना और फैसला होना कौतूहल का विषय और आप में एक नया अनुभव रहा। जेल के बाहर मीडिया के अलावा सभी के एंट्री बंद कर दी गई। इस दौरान हर जगह पुलिस के सशस्त्र जवान तैनात नजर आए।
पुलिस छावनी बना रहा जोधपुर शहर एक ओर जहां जेल के अंदर और जेल के बाहर एसटीएफ के सुरक्षाकर्मी तैनात रहे, वहीं फैसले के मद्देनजर पूरा शहर छावनी बना रहा। पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने में अपनी तरफ से कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी। इस दौरान पूरे की शहर किलेबंदी की गई। इसे लेकर जोधपुर में भारी सुरक्षा जाब्ता तैनात किया गया। पुंलिस कमिश्नर अशोक राठौड़ ने शहर में सुरक्षा की कमान खुद संभाल कर रखी थी।
चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात रहा
शहर में करीब 2000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात नजर आए। पुलिस रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, आश्रम व शहर के प्रमुख नाकों पर तैनात दिखी। किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए 700 जवानों को रिजर्व रखा गया था। जोधपुर रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, पब्लिक पार्क, हाइकोर्ट रोड, नई सड़क व सोजती गेट सहित आसपास के इलाकों पर चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात रहा।