न्यायाधीश संदीप मेहता तथा न्यायाधीश विनीतकुमार माथुर की खंडपीठ में आसाराम की ओर से मुंबई से आए वरिष्ठ अधिवक्ता शिरीष गुप्ता ने सजा स्थगित करने के बिंदु पर बहस शुरू करनी चाही, जिस पर लोक अभियोजक एनएस भाटी ने प्रार्थना पत्र का प्रत्युत्तर देने के लिए समय मांगा।
खंडपीठ ने कहा कि संपूर्ण रिकॉर्ड कोर्ट में उपलब्ध है तो समय क्यों चाहिए। भाटी के लिखित में प्रत्युत्तर देने की बात कहने पर खंडपीठ ने सुनवाई 23 तक टाल दी। स्पेशल कोर्ट (पॉक्सो एक्ट) ने गत वर्ष 25 अप्रेल को आसाराम को मृत्यु तक आजीवन कारावास और उसके सहयोगी शरद व शिल्पी को बीस-बीस साल की सजा सुनाई थी।
दोनों सहयोगी सजा स्थगित होने के बाद जमानत पर रिहा हो गए। आसाराम पर जोधपुर के निकट मनाई स्थित आश्रम में अपने गुरुकुल में पढ़ने वाली एक नाबालिग छात्रा का अगस्त, 2013 में यौन उत्पीड़न करने का आरोप था।
स्पेशल कोर्ट ने आसाराम को दोषी पाया था। सजा के खिलाफ आसाराम ने जुलाई, 2018 में अपील पेश की थी, जिस पर राज्य सरकार को नोटिस जारी हो चुके हैं। इसी अपील के अधीन आसाराम की ओर से दुबारा सजा स्थगित करने का प्रार्थना पत्र पेश किया गया है।