scriptआसाराम के फैसले से छिड़ी दुष्कर्मियों को सजा पर बहस, हर दुराचारी को सजा मिलेगी | Asaram case reference : Each culprit punished for the rape of minors | Patrika News

आसाराम के फैसले से छिड़ी दुष्कर्मियों को सजा पर बहस, हर दुराचारी को सजा मिलेगी

locationजोधपुरPublished: Apr 25, 2018 11:50:09 am

Submitted by:

M I Zahir

Asaram in jodhpurजोधपुर में आसाराम मामले के फैसले से नाबालिग बच्चों से यौन दुराचार करने वाले दुराचारियों को सजा मिलने पर देश में बहस छिड़ गई है।

asaram bapu

asaram bapu

जोधपुर . जोधपुर में आसाराम मामले के फैसले से नाबालिग बच्चों से यौन दुराचार करने वाले दुराचारियों के खिलाफ बहस छिड़ गई है। आम लोगों में गुस्सा है और वे दुराचारियों को सजा देने के पक्ष में हैं। आम जनता की इसी मंशा के अनुरूप अब नाबालिग बच्चों के साथ दुराचार करने वाले किसी भी तरह बख्शे नहीं जाएंगे। जहां एक ओर केंद्र सरकार ने 12 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म पर फांसी की सजा का कानून बनाया है, वहीं राजस्थान में भी बच्चों के साथ दुराचार करने वालों के खिलाफ कानून बना हुआ है। यानी एेसा करने वाले दरिंदों की किसी तरह से खैर नहीं है।
ये दिशानिर्देश राजस्थान में लागू

राजस्थान बाल अधिकारिता निदेशालय ने नाबालिग बच्चों के साथ दुराचार के प्रकरणों के बारे में विस्तृत गाइडलाइन जारी कर रखी है। सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने सन 2013 में इस आशय की अधिसूचना जारी की थी। ये दिशानिर्देश राजस्थान में लागू हैं। इस गाइडलाइन को राजस्थान गाइडलाइन्स फॉर प्रिवेन्शन ऑफ चाइल्ड एब्यूज 2013 के नाम से जाना जाता है। ये दिशा निर्देश पूरे राजस्थान में मान्य हैं और इन्हें बाल अधिकारों के विस्तार के रूप में देखा जाता है। इसमें ‘राजस्थान किशोर न्याय (बालकों की देखरेख व संरक्षण) नियम 2000 के नियम 31 व 60 (1) की अनुपालना में विभिन्न संस्थाओं में बच्चों के साथ दुव्र्यवहार, शोषण और उपेक्षा से बचाव शामिल है।
छिंदवाड़ा गुरुकुल व जोधपुर मणेई आश्रम भी शैक्षणिक व धार्मिक संस्थान
बहुचर्चित जोधपुर के मणाई आश्रम में एक नाबालिग से यौन दुराचार प्रकरण में गिरफ्तार आसाराम सहित प्रदेश के कई मामलों में इसे बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। क्यों कि इसमें इंस्टीट्यूशन (संस्था) शब्द की व्याख्या में बताया गया है कि इसका अर्थ धार्मिक, चैरिटेबल, शैक्षणिक, व्यावसायिक, वाणिज्यिक या सामाजिक उद्देश्य से स्थापित संस्थान से है, जिसमेंं औपचारिक, अनौपचारिक, पंजीकृत, अपंजीकृत,संस्था या रेजिडेंशियल होम आदि शामिल है और छिंदवाड़ा गुरुकुल व जोधपुर का मणेई आश्रम भी शैक्षणिक व धार्मिक संस्थान हैं।
यह है गाइडलाइन

इन गाइडलाइन्स को बाल अधिकार संरक्षण के परिप्रेक्ष्य मेंजरूरत होने पर लागू किया जा सकता है। इसके तहत द जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट २०१३ और बालवय में सेेक्सुअल हमले के कानून प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रप फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्सेज पोक्सो एक्ट २०१२ के दृष्टिगत संरक्षण प्रदान करना है। इसका अर्थ बच्चों के सर्वोत्तम हित से उनके शारीरिक, भावनात्मक, बौद्धिक, सामाजिक और नैतिक विकास से तात्पर्य है।
गाइडलाइन में यह है प्रावधान
-यहां बच्चे शब्द का अर्थ १८ साल से छोटा कोई भी व्यक्ति हो सकता है।

-चाइल्ड एब्यूज का अर्थ किसी भी प्रकार का दुराचार करना या दुराचार के लिए प्रवृत्त करना है, जिसमें यौन शोषण व भावनात्मक दुराचार अथवा किसी भी प्रकार का शोषण शामिल है।
-यह बाल श्रम, जबरदस्ती श्रम या बाल तस्करी पर भी लागू है।
-बच्चों के यौन शोषण का अर्थ समय-समय पर परिवर्तित पोक्सो एक्ट 2012 के तहत उनका यौन अपराधों से संरक्षण शामिल है।

-भावनात्मक दुराचार से तात्पर्य व्यक्तियों द्वारा बच्चे की जिम्मेदारी, अधिकारिता या भरोसा तोडऩा है। इसमें बच्चे को किसी प्रकार के संकट में डालना, उसे गंभीर दुव्र्यवहार संज्ञानात्मक, भावनात्मक या मानसिक आघात पहुंचाना भी इसी श्रेणी में आता है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो