क्या है मामला आतंकवादी निरोधक दस्ता एटीएस ने
जोधपुर शहर के प्रताप नगर इलाके से दो आतंकवादियों को 23 मार्च 2014 गिरफ्तार किया था। जबकि इनका एक साथी फरार होने में सफल हो गया था। बरकतुल्लाह खां कालोनी निवासी मोहम्मद शाकिब अंसारी 27 तथा गुजराती कालोनी निवासी आदिल 23 को गिरफ्तार किया गया था। जबकि इनका एक साथी शांतिप्रिय नगर से बरकत फरार हो गया। उल्लेखनीय है कि इंडियन मुजाहिदीन आईएम के दहशतगर्द वकास के नापाक मंसूबों को बेपर्दा करते दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने राजस्थान से 22 मार्च 2014 को उसके साथ तीन और साथियों को भी धर दबोचा था। इनमें मोहम्म्द महरूफ और मोहम्मद वकार अजहर को
जयपुर जबकि शाकिब अंसारी को जोधपुर से गिरफ्तार किया था। गौरतलब है कि पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों के लिए ट्रेंड वकास मुंबई ब्लास्ट और हैदराबाद धमाके का आरोपी रहा है।
आसाराम समर्थकों की जुटी भीड़ 4 साल से अधिक समय से जोधपुर की हाई सिक्योरिटी जेल में बंद आसाराम के चेहरे पर कोई शिकन नजर नहीं आई।
मध्य प्रदेश के छिंदवाडा़ स्थित आश्रम की नाबालिग छात्रा के साथ जोधपुर में यौन दुराचार के मामले में आरोपी आसाराम मामले में बचाव पक्ष ने की ओर से पिछले 25 नवम्बर को अधुरी रही अंतिम बहस आज फिर शुरू हुई। आसाराम के अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा अंतिम बहस में अधीनस्थ न्यायालय के निर्णय पर कर रहे हैं बहस।
वाणिज्यिक अदालतों को बंद करने का मामला वाणिज्यिक अदालतों को बंद करने का मामला में जस्टिस संगीत लोढा की खंड पीठ ने सुनवाई की। सरकार की ओर से नही पेश किया गया लिखित जवाब। एएजी राजेश पंवार ने कहा कि जयपुर में ऐसे मामलों की पेंडेंसी अधिक है। इस लिए वहां जारी रखा गया और शेष जिलों में बहुत कम होने की वजह से बंद किये गए। इस पर खंडपीठ ने कहा कि इस से क्या होता है। आखिर एक्ट भी तो बना है। उसके अनुसार चलना होगा। आप अगली सुनवाई में 14 दिसंबर को सरकार से इंस्ट्रक्शन लाओ। नहीं तो कोर्ट को ही आर्डर जारी करना होगा।
अवमानना मामले की सुनवाई
माइनिंग विभाग के निदेशक डी एस मारू व सचिव डीओपी भास्कर सावंत हाइकोर्ट में पेश। जस्टिस निर्मलजीत कौर की अदालत में हुए एक अवमानना मामले की सुनवाई। माइनिंग विभाग के चुंगी कर्मचारियों को क्लेरिकल ग्रेड में पदोन्नत करने का था मामला। इस बाबत हाइकोर्ट ने जून 2017 में जारी किए थे आदेश। जिसकी पालन नहीं होने पर प्रमोद कुमार व करीब 20 अन्य ने पेश की थी अवमानना याचिकाएं। अब कोर्ट ने कहा 30 मार्च 2018 तक आदेश की करें पालना। अथवा 5 अप्रैल को दोनों अधिकारी फिर से अवमानना का सामना करने पेश हो हइकोर्ट में।