फिल्म पद्मावती विवाद में कुछ ये कह गए आसाराम बॉलीवुड फिल्म पद्मावती पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। तीन-चार राज्यों में इस विवाद की आग जोरों पर भड़की हुई है। इस विवाद में जहां छोटे-बड़े नेता और अभिनेताओं के तीखे बोल सामने आ रहे हैं। वहीं मंगलवार को आसाराम भी इस विवाद में कूद पड़े। विभिन्न विवादों में सुर्खियों में रहने वाले आसाराम ने इस बार फिल्म पद्मावती को लेकर अपनी राय अभिव्यक्त की। एससीएसटी कोर्ट में नाबालिग छात्रा के साथ यौन दुराचार के मामले में बचाव पक्ष की ओर से पूर्व में अधूरी रही अंतिम बहस मंगलवार को शुरू हुई। इस दौरान सुनवाई के लिए आए आसाराम को दंगा नियंत्रण वाहन वज्र में भारी सुरक्षा के साथ लाया गया। कोर्ट परिसर में आसाराम समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ी। यहां पहुंचने पर मीडिया ने पद्मावती फिल्म के रिलीज को लेकर सवाल पूछे। मीडियाकर्मियों ने आसाराम से पूछा कि क्या फिल्म पद्मावती रिलीज होनी चाहिए की नहीं?। इस पर आसाराम ने एकदम से अनभिज्ञता जाहिर कर दी और कहा जो ठीक हो वह होना चाहिए।
आसाराम के खिलाफ पहले जयपुर में लिखवानी चाही थी रिपोर्ट-बचाव पक्ष
नाबालिग छात्रा से यौन दुराचार के मामले में फंसे आसाराम के बचाव पक्ष ने मंगलवार को एससीएसटी कोर्ट के पीठासीन अधिकारी मधुसूदन शर्मा की अदालत में बहस जारी रखी। बहस के दौरान आसाराम के अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने नया तथ्य पेश करते हुए कहा कि पीडि़ता व उसकी मां तथाकथित घटना के बाद जोधपुर से मरूधर एक्सप्रेस से दोपहर 2 बजे के करीब जयपुर पहुंची। वहां दोनों ने एक अधिवक्ता से सम्पर्क कर आसाराम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए कहा था, लेकिन अधिवक्ता ने इनकार कर दिया। उसके बाद लड़की तथा उसकी मां कार से दिल्ली पहुंची तथा वहां कमला नेहरू मार्केट स्थित पुलिस थाना में एफआईआर दर्ज करवाई। अधिवक्ता सुराणा ने कहा कि इस मामले की मुख्य अनुसंधान अधिकारी रही चंचल मिश्रा ने अपने बयान में कहा था कि लड़की की मां आसाराम को दिल्ली में ही गिरफ्तार कराना चाहती थी। इससे साजिश का पता चलता है।
नाबालिग छात्रा से यौन दुराचार के मामले में फंसे आसाराम के बचाव पक्ष ने मंगलवार को एससीएसटी कोर्ट के पीठासीन अधिकारी मधुसूदन शर्मा की अदालत में बहस जारी रखी। बहस के दौरान आसाराम के अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा ने नया तथ्य पेश करते हुए कहा कि पीडि़ता व उसकी मां तथाकथित घटना के बाद जोधपुर से मरूधर एक्सप्रेस से दोपहर 2 बजे के करीब जयपुर पहुंची। वहां दोनों ने एक अधिवक्ता से सम्पर्क कर आसाराम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए कहा था, लेकिन अधिवक्ता ने इनकार कर दिया। उसके बाद लड़की तथा उसकी मां कार से दिल्ली पहुंची तथा वहां कमला नेहरू मार्केट स्थित पुलिस थाना में एफआईआर दर्ज करवाई। अधिवक्ता सुराणा ने कहा कि इस मामले की मुख्य अनुसंधान अधिकारी रही चंचल मिश्रा ने अपने बयान में कहा था कि लड़की की मां आसाराम को दिल्ली में ही गिरफ्तार कराना चाहती थी। इससे साजिश का पता चलता है।
उन्होंने पुलिस पर संवैधानिक प्रावधानों को ताक पर रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि घटना 14 व 15 अगस्त 2013 की रात की बताई जा रही है। जोधपुर में घटी इस तथाकथित घटना के सम्बन्ध में रिपोर्ट 600 किलोमीटर दूर दिल्ली में 19 अगस्त को लिखवाई गई। उसके बाद रिपोर्ट अज्ञात कारणों न्यायालय में तीन दिन बाद 21 अगस्त को पेश की गई। इस तरह पूरा मामला बनाया हुआ, झूठा तथा संदिग्ध प्रतीत होता है। आसाराम को किसी सोची-समझी साजिश के तहत फंसाया गया है। समय आभाव के कारण अधूरी रही बहस बुधवार को फिर होगी।