राजस्थान हाईकोर्ट (rajasthan highcourt) ने एएसआइ को अब त्वरित कदम उठाते हुए अपेक्षित रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी।
मुख्य न्यायाधीश एस. रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश विनितकुमार माथुर की खंडपीठ में सुनील पालीवाल की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता मानस रणछोड़ खत्री ने कहा कि कोर्ट ने 6 मई को विस्तृत आदेश देते हुए एएसआइ के सुपरविजन में एक कमेटी गठित करने को कहा था, जिसे कुलधरा का निरीक्षण करने के बाद सभी पहलुओं पर अपनी रिपोर्ट देने के लिए 12 सप्ताह का समय दिया गया था। लेकिन एएसआइ ने कुलधरा का अब तक निरीक्षण नहीं किया है।
मुख्य न्यायाधीश एस. रविन्द्र भट्ट और न्यायाधीश विनितकुमार माथुर की खंडपीठ में सुनील पालीवाल की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता मानस रणछोड़ खत्री ने कहा कि कोर्ट ने 6 मई को विस्तृत आदेश देते हुए एएसआइ के सुपरविजन में एक कमेटी गठित करने को कहा था, जिसे कुलधरा का निरीक्षण करने के बाद सभी पहलुओं पर अपनी रिपोर्ट देने के लिए 12 सप्ताह का समय दिया गया था। लेकिन एएसआइ ने कुलधरा का अब तक निरीक्षण नहीं किया है।
इसे गंभीरता से लेते हुए खंडपीठ ने एएसआइ के अधिवक्ता को तलब कर इसका कारण पूछा। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट ने एएसआइ को तुरंत आदेश की पालना सुनिश्चित करने के लिए अपेक्षित कदम उठाने को कहा।
सुनवाई के दौरान खत्री ने कहा कि कुलधरा में चारदीवारी के निर्माण में प्राचीन श्मशान भूमि को बाहर कर दिया गया, जिसे संरक्षित स्मारक का भाग मानने के आवश्यक निर्देश दिए जाएं, खंडपीठ ने इस विषय को एएसआई की रिपोर्ट के बाद उठाने को कहा।
गौरतलब है कि कोर्ट ने एएसआइ महानिदेशक को उप महानिदेशक या इससे उच्च अधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिए थे। इस कमेटी में आवश्यक संख्या में विशेषज्ञ, जो विभाग और बाहर के भी हो सकते हैं, सम्मिलित होंगे।
यह कमेटी कुलधरा का भ्रमण करने के बाद सभी पहलुओं पर अपनी रिपोर्ट देगी। कोर्ट ने पुनरुद्धार का सुपरविजन करने वाले आर्किटेक्ट को अपने इनपुट देने की अनुमति देते हुए याचिकाकर्ता को भी कहा था कि कमेटी के समक्ष कुलधरा के पुराने फोटोग्राफ व अन्य दस्तावेज रखे, ताकि कोर्ट के समक्ष समग्र रिपोर्ट पेश हो सके।