कांग्रेस नेताओं की यह आशंका तीसरे चरण के मतदान से पहले ही तामुलपुर विधानसभा क्षेत्र से महाजोट के सहयोगी बोड़ोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के प्रत्याशी रंगूजा खुंगूर बसुमतारी के भाजपा में शामिल हो जाने के बाद बलवती हो गई थी। बसुमतारी करीब 48 घंटे गायब रहने के बाद भाजपा में शामिल हो कर ही सामने आए। इस अनूठे चुनावी घटनाक्रम को हिमंत के मास्टर स्ट्रॉक के रूप में देखा गया।
बीपीएफ प्रत्याशी भी गुप्त ठिकाने पर
कांग्रेस खासतौर पर सबसे पहले सहयोगी दलों के प्रत्याशियों को सुरक्षित रखने की जुगत में है। इसके तहत प्रदेश के 11 जिलों में अल्पसंख्यक बाहुल्य सीटों पर सीधा प्रभाव रखने वाले ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के प्रत्याशियों को शुक्रवार को ही जयपुर भेज दिया गया था। इसके बाद बीपीएफ के प्रत्याशियों को भी शनिवार को ‘गुप्त स्थान’ पर भेजा गया है।
कांग्रेस खासतौर पर सबसे पहले सहयोगी दलों के प्रत्याशियों को सुरक्षित रखने की जुगत में है। इसके तहत प्रदेश के 11 जिलों में अल्पसंख्यक बाहुल्य सीटों पर सीधा प्रभाव रखने वाले ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के प्रत्याशियों को शुक्रवार को ही जयपुर भेज दिया गया था। इसके बाद बीपीएफ के प्रत्याशियों को भी शनिवार को ‘गुप्त स्थान’ पर भेजा गया है।
बहुमत न मिला तो….
हालांकि कांग्रेस चुनाव से पहले कहीं मुकाबले में नहीं दिख रही थी, लेकिन कांग्रेस पर्यवेक्षक बनकर पहुंचे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व एआईसीसी के प्रभारी महासचिव भंवर जितेंद्रसिंह ने सटीक रणनीति के तहत ‘कड़ी टक्कर’ वाले हालात बना दिए। ऐसे में भाजपा नेता भी अभी से संभावित कमी-बेसी पूरी करने की तैयारी में जुटे हैं। प्रेक्षकों का कहना है कि बहुमत न मिलने की स्थिति में भाजपा के नेता हिमंत की भूमिका अहम हो जाएगी। कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए हिमंत का कांग्रेस के कई प्रत्याशियों पर प्रत्यक्ष-परोक्ष प्रभाव है। वे लगातार अपने इन पुराने मित्रों पर डोरे डाल रहे हैं।
हालांकि कांग्रेस चुनाव से पहले कहीं मुकाबले में नहीं दिख रही थी, लेकिन कांग्रेस पर्यवेक्षक बनकर पहुंचे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व एआईसीसी के प्रभारी महासचिव भंवर जितेंद्रसिंह ने सटीक रणनीति के तहत ‘कड़ी टक्कर’ वाले हालात बना दिए। ऐसे में भाजपा नेता भी अभी से संभावित कमी-बेसी पूरी करने की तैयारी में जुटे हैं। प्रेक्षकों का कहना है कि बहुमत न मिलने की स्थिति में भाजपा के नेता हिमंत की भूमिका अहम हो जाएगी। कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए हिमंत का कांग्रेस के कई प्रत्याशियों पर प्रत्यक्ष-परोक्ष प्रभाव है। वे लगातार अपने इन पुराने मित्रों पर डोरे डाल रहे हैं।