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अगस्त क्रांति दिवस : जोधपुर की सिद्धनाथ की पहाडि़यों में बम बनाते थे आजादी के दीवाने

locationजोधपुरPublished: Aug 08, 2019 08:10:57 pm

Submitted by:

M I Zahir

जोधपुर. स्वाधीनता संग्राम ( freedom struggle ) व अगस्त क्रांति में जोधपुर के स्वतंत्रता सैनानियों का विशिष्ट उल्लेखनीय रहा है। अगस्त क्रांति दिवस ( August revolution day ) पर इस बार स्वाधीनता और क्रांतिकारी ( revolutionaries ) गतिविधियों के साक्षी रहे वरिष्ठ चिंतक व कांग्रेसी स्व. गोविन्द श्रीमाली ( Govind Shrimali ) से हुई वें यादगार बातें, जो उन्होंने पत्रिका को बताई थीं। उन्होंने बताया था कि उस समय क्रांतिकारी जोधपुर में बम बनाते थे।
 
 
 
 

August Revolution Day: Revolutionries made bombs in the hills of Jodhpur

August Revolution Day : Freedom fighters made bombs in the hills of jodhpur

जोधपुर .स्वाधीनता संग्राम ( freedom struggle ) में अग्रेजों से मुकाबला करने के लिए अन्य शहरों की भांति जोधपुर भी स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियों से अछूता नहीं रहा। उस समय जोधपुर में क्रांतिकारी ( revolutionaries ) बम बना कर अन्य स्थानों पर क्रांतिकारियों के पास भेजते थे। अगस्त क्रांति दिवस ( August revolution day ) पर वरिष्ठ चिंतक व कांग्रेसी स्व. गोविन्द श्रीमाली ( Govind Shrimali ) ने पत्रिका को यह बात बताई थी।

विस्फोट भी किया गया था
उन्होंने बताया था कि आजादी के आंदोलन में जोधपुर के स्वतंत्रता सैनानी सिद्धनाथ की पहाडि़यों, किले के परकोटे की पहाडि़यों में अलग-अलग दलों में बंट कर गुप्त रूप से बम बनाते थे। जिनका अंग्रेजों में दहशत फैलाने के लिए दो बार स्टेडियम में विस्फोट भी किया गया था। उसके बाद क्रांतिकारी इन बमों को सुरक्षित रूप से विभिन्न रास्तों से जोधपुर के बाहर अन्य स्थानों पर क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए सुपुर्द करते थे।

ब्रह्मपुरी था सुरक्षित ठिकाना
श्रीमाली ने बताया था कि सन् 1942 के लगभग जोधपुर शहर परकोटे के अंदर ही बसा हुआ था। उसमें शहर की सबसे प्राचीन बस्ती ब्रह्मपुरी तमाम क्रांतिकारियों के लिए सुरक्षित ठिकाना हुआ करती थी। सटे हुए घरों और घरों में सुरंगों की वजह से क्रांतिकारियों के छुपने और किसी को भनक लगने पर एक-स्थान से दूसरे स्थान पर जाना आसानी से होता था। वहीं 1945 के लगभग सरदारपुरा, पावटा, राई का बाग आदि का विकास होना शुरू हुआ था। तब तक शहर ब्रह्मपुरी, आडा बाजार, सर्राफा बाजार, लाडज़ी का कुआं, जवरी बाजार तक ही विकसित था, इस वजह से अधिकतर गतिविधियां घरों या ब्रह्मपुरी की पहाडि़यों में होती थी।
इनका था दबदबा
उन्होंने बताया था कि स्वतंत्रता संग्राम के समय जोधपुर में जयनारायण व्यास, किरोड़ीमल मेहता, केवलचंद मोदी, रामचंद्र बोड़ा, श्यामसुंदर व्यास, जोरावरमल बोड़ा, चंपालाल जोशी, जुगराज बोड़ा, साधु सीताराम दास, हरीश दवे आजाद व युवा वानर सैनिकों का क्रांतिकारी गतिविधियों में दबदबा था।
अगस्त क्रांति दिवस 9 अगस्त को क्यों?
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में 9 अगस्त 1942 को मुम्बई के ग्वालिया टैंक मैदान में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक होनी थी। जिसकी भनक अंग्रेजी शासकों को लग गई और 8 अगस्त की रात्रि को ही अभियान के तहत महात्मा गांधी के साथ समिति के वरिष्ठ सदस्यों की धरपकड़ शुरू कर जेल में डाल दिया। उस समय महात्मा गांधी ने एेलान किया था कि अंग्रेजों भारत छोड़ो और नारा दिया करो या मरो। कुछ लोग बच कर निकल गए और गांव-गांव, ढाणी-ढाणी में क्रांति की अलख जगाई। इसलिए 9 अगस्त क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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